कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के स्थापना दिवस के पर समाजवादी समागम की..एक यादगार सभा

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नई दिली। दिल्ली के बाबर लेन व हिन्द मजदूर सभा के कार्यालय में, समाजवादी समागम की..एक यादगार सभा, कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के स्थापना दिवस के अवसर पर हुई..दिनांक 17-मई 1934, में “कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी”, यानि आज ही के दिन हिंदुस्तान के सोशलिस्टों, आचार्य नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण, डॉ राममनोहर लोहिया, युसूफ मेहर अली, अच्युत पटवर्धन, कमला देवी चट्टोपाध्याय, फरीदुल हक अंसारी, जैसे सोशलिस्टों ने . पटना के अंजुमन-ए-इस्लामिया हाल में, “कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी” की स्थापना की थी..आज दिल्ली के समाजवाद की वैचारिक और सैद्धांतिक धारा पर अडिग साथियों ने अपनी उपस्थिति के हस्ताक्षर किये..सभा की अध्यक्षता, दिल्ली सरकार के पूर्व सचेतक, प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन जी, ने की और सभा का आयोजन एच.एम.एस के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड सरदार हरभजन सिंह सिद्दू जी, की तरफ से आयोजित था..इस मौके पर समागम अध्यक्ष मंडल के सदस्य श्री विजय प्रताप जी, के आलावा वरिष्ठ समाजवादी साथी श्री वैद्य जी, श्री श्याम गंभीर जी, श्री महेंद्र शर्मा जी, श्री मदनलाल हिन्द जी, प्रोफ० शशि शेखर सिंह जी, डॉ० अनिल ठाकुर जी, पूर्व पार्षद श्री राकेश कुमार जी, श्री मति रोज़ी जी, श्री अभय सिन्हा जी, श्री शाहिद गंगोई जी, श्री सफ़ी देहलवी जी, श्री विजय गौतम जी, और संजय कनौजिया सहित कुछ अन्य महत्वपूर्ण साथी..आज प्रोफ० राजकुमार जैन जी, ने अपने व्याख्यान में, समाजवाद के शुरूआती दौर के इतिहास में अपने आदर्शों को यादकर..जो विवेचना कर वर्तमान के हालातों पर गंभीर चिंता व्यक्त की और बदलती राजनैतिक प्रस्थितियों में अपने सिद्धांत पर खड़े होते सवालों पर प्रश्न खड़े किये..उसका जवाब मैंने, यानि “संजय कनौजिया” ने दिया..कि हमें दिल्ली में समाजवादी विचार और सिद्धांत के बैनर को मजबूत करने उसे वार्ड स्तर तक ले जाने की जरुरत है..हम अपने बैनर तले बिना किसी “चुनावी चिन्ह” के सदस्य्ता अभियान, पर बल देना चाहिए..हम सब का बस एक ही लक्ष्य रहना चाहिए कि “राजधानी दिल्ली” कभी भी, साम्रदायिक और फासीवादी शक्ति, जो आज आरएसएस और भाजपा के प्रतीक है..उसके हाथ में ना जाए.. मेरे कथन पर सभी एकमत हुए और जवाब में प्रोफ० राजकुमार जैन जी ने कहा..कि हम सोशलिस्टों के लिए इस दिन की खास अहमियत है, खासतौर से जब भाजपा, आरएसएस, नरेंद्र मोदी की सरकार जम्हूरियत के खात्मे, हिंदू मुस्लिम फसाद और मुल्क की दौलत को चंद पूंजीपतियों के हाथ में सोंप रही है..ऐसे वक्त में हमें अपने पुरखों से लड़ने की प्रेरणा लेनी है.. अतः 4 जून के बाद समाजवादी समागम कि अगली बैठक तय करने की जिम्मेवारी श्री विजय प्रताप जी को सौंपी गई…!!

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