अच्छे व्यक्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

ऊषा शुक्ला

अच्छे व्यक्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, । यह बहुत बड़ा पाप है क्योंकि सच्चे और अच्छे व्यक्ति का सबसे बड़ा साथी भगवान होता है । और जो लोग अपने आप को बहुत चालाक समझते हैं और किसी अच्छे व्यक्ति से मदद माँग कर उसे बेवक़ूफ़ बनाने की कोशिश करते हैं वास्तविकता में वे अपने आपको बड़ा बेवक़ूफ़ बना रहे हैं।आजकल लोग किसी सीधे सादे सज्जन व्यक्ति को इतना परेशान कर देते हैं कि उसे अपने अच्छे होने पर शर्म आने लग जाती है। बल्कि, अच्छे व्यक्ति के गुणों को समझकर उनसे सीखना चाहिए। यदि आपके साथ कोई व्यक्ति सिर्फ़ अच्छा ही करता है तो उसे मूर्ख नहीं समझना चाहिए बल्कि भगवान से डर कर उसका सम्मान करना चाहिए । अजीब सी मानसिकता के कुछ लोग हो गए हैं जो सीधे सादे व्यक्ति को बहुत मूर्ख समझते हैं ।एक अच्छा इंसान का पहचान उनके कृतित्व, ईमानदारी, सामाजिक सद्भावना, सहानुभूति, और आदर्श आचरण से हो सकता है। वे दूसरों के साथ निर्माणात्मक और सहयोगी रूप में व्यवहार करते हैं, और दुनिया में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं।अगर हम चाहते हैं कि हमारी दुनिया खुशहाल रहे तो एक अच्छा इंसान बनना और दयालु होना बहुत ज़रूरी है। बुरे लोग बुरे बनना चुनते हैं लेकिन आपको ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है। अक्सर देखा गया है कि जो व्यक्ति वास्तव में अच्छा होता है उसे ही लोग बदनाम करने में अपना समय व्यर्थ करते हैं। आखिर लोग ऐसा क्यों करते हैं कि वह किसी सज्जन व्यक्ति के सीधेपन का फायदा उठाते हैं । एक बेटा बस अपने सीधे स्वभाव के कारण अपने ही परिवार में लज्जित हो गया। परिवार के लोगों ने सोचा कि यह तो सीधा व्यक्ति है किसी से लड़ेगा नहीं किसी से झगड़ा का नहीं, तो क्यों ना इसका हिस्सा मार लिया जाए, इसे कुछ भी दिया ना जाए। उल्टा इसका सब कुछ खाकर इसको ही बदनाम कर दिया जाए। एक सभ्य बेटे की कमाई पर जो दुसरे निठल्ले बेटे अपना हक समझ कर अपना जीवन काट रहे हैं उन्हें जरा भी शर्म नहीं आ रही है कि वह किसके हिस्से पर अपना अधिकार समझ रहे हैं, बड़े शर्म की बात है।आपको अच्छा बनना और दयालुता फैलाना चुनना होगा। आप उन लोगों को यह तय करने नहीं दे सकते कि आप दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।वह लोगों के पीछ-पीछे बुराई नहीं करता, शिकायत नहीं करता, कोई बार छुपाता नहीं, बेइमानी नहीं करता. अच्छा इंसान अपनी समस्याओं को अपने प्रियजनों पर नहीं डालता. वह घर पर किसी को आभास भी नहीं होने देता कि वह किसी परेशानी में है. इस तरह वह अपनों को खुश रखने के लिए खुद की परेशानियों को उनसे दूर रखता है. । अच्छाई का सीधा सा सिंपल सा अर्थ है किसी के साथ बुरा ना करना, जब आप ने किसी का बुरा नहीं चाहा तो आप अच्छे इंसान हैं और इसका मतलब यह नहीं कि आप हर इंसान के आगे सर झुकाते रहो हर इंसान की बात मानते रहो. वह अच्छा ही नहीं है वह तो मूर्खता है और आप चाहते हैं कि कोई भी आपकी अच्छाई का फायदा ना उठाएं आप के भले होने का फायदा ना उठाएं या आपको नुकसान न पहुंचाएं या आपके साथ गलत न करें तो यह पांच बातें आप जरूर ध्यान में रखें।ग़लत और सही” यह अपनी अपनी माइंड प्रोग्रामिंग के हिसाब से अपनी-अपनी सोच है। हम सही ग़लत की पहचान भी तभी कर पाते हैं जब हमारे हाथ में ज्ञान का दीपक हो। जो सामने वाला ग़लत कर रहा है तो जाहिर है, वह समझ नहीं रहा, सही ग़लत की पहचान नहीं कर पा रहा। हमें उसका साथ छोड़ने के बजाए, उसे समझाना चाहिए। समझे तो ठीक, न समझे तो उसकी मर्जी। हमें उसका साथ छोड़ने के बजाए उसे समझाने की और उसे ग़लत करने से रोकने की पूरी-पूरी कोशिश करनी चाहिए। लोगों को सही राह दिखाना यह हमारा फर्ज है, लेकिन अगर लाख कोशिश करने के वाबजूद भी अगर कोई न समझे, न सुधरे तो ऐसे लोगों का साथ छोड़ना ही उचित है क्योंकि जैसे हमारे संगी-साथी होते हैं, धीरे धीरे हम भी वैसे ही होते जातें हैं।भले यह दुनिया चालाक लोगों से चलती है पर फिर भी भगवान के घर सभी व्यक्ति का ही सम्मान होता है। इस कलयुग की दुनिया में अपने आप को साबित करने के लिए कभी भी गलत कदम नहीं उठाना चाहिए। जो लोग एक अच्छे इंसान को जानबूझकर झूठा बदनाम करते हैं उन्हें ईश्वर के प्रकोप से कोई बचा नहीं सकता। अक्सर देखा गया है कि लोग उस व्यक्ति को देखते हैं जो गलत रास्ते पर चलता है और सोचते हैं कि इसे तो सजा मिल ही नहीं रही। लेकिन मूर्ख व्यक्ति भूल जाता हैं कि यह तुम्हारी नजरों का फेर है कि एक गलत व्यक्ति को सजा मिल नहीं रही। जबकि असलियत तो यह होती है कि गलत रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति वास्तव में बहुत अधिक परेशान ,आंतरिक रूप से परेशान दुखी और रोगी होता है। हो सकता हो आपको ऐसा ना दिख रहा हो।एक अच्छा इंसान झूठ के आवरण के पीछे नहीं छिपता। वे अपने आत्मसम्मान को महत्व देते हैं और हमेशा अपनी बात कहेंगे। निजी रिश्तों में भी, जब सब कुछ टूट रहा हो, तो वे सब कुछ संभालने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन वे इसे दूसरे व्यक्ति पर थोपेंगे नहीं या उनके झूठ को स्वीकार नहीं करेंगे। भले ही चाणक्य ने कहा था कि जो सबसे सीधा व्यक्ति होता है वही सबसे पहले काटा जाता है। और शायद इसी नियम को मानने वाले लोग दिन प्रतिदिन बुराई की तरफ़ अग्रसर होते चले जा रहे हैं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वो सीधे रहकर अपना जीवन व्यतीत करेंगे तब लोग उनका इस्तेमाल करेंगे। सज्जन व्यक्ति अपना फ़ायदा तो चाहता है पर अपने सामने वाले का नुक़सान करना नहीं चाहता। अच्छा व्यक्ति अपने साथ साथ अपने आस पास के लोगों का भी भला करता रहता है और उसकी इसी आदत को कुछ लोग उसकी कमज़ोरी समझ लेते हैं और इसका फ़ायदा उठाना चाहते है।

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