ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के बैनर तले सहारा इंडिया के खिलाफ देश भर में आंदोलन करेंगे निवेशक और एजेंट
दरअसल सहारा निदेशकों के खिलाफ लगभग 150 से अधिक मुकदमे विभिन्न राज्यों में दर्ज हैं। छत्तीसगढ़ में तो गत दिसंबर महीने के तीसरे सप्ताह में विधानसभा में लगातार तीन दिन सहारा के भुगतान न दिए जाने के विषय पर बहस भी हुई है। विधानसभा अध्यक्ष ने यह मामला यह कहर दबा दिया कि इससे राज्य सरकार से क्या लेना देना है? इसी तरह दिसंबर माह के तीसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सहारा पीड़ितों का पक्ष रखा तो यहां के विधानसभा अध्यक्ष ने भी कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
दरअसल सहारा इंडिया कंपनी की सोसायटीओं के लाइसेंस दाता केंद्रीय रजिस्ट्रार कृषि मंत्रालय ने जांच में काफी कमियां पाई हैं और लाखों शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसके आधार पर जुलाई 2020 से जनवरी 2021 तक नया डिपॉजिट लेने, पेपर पलटने पर रोक लगा दी गई थी। 24 अगस्त 2020 को काफी शिकायतों की जांच के बाद जिला-अशोकनगर जिलाधिकारी अभय वर्मा ने लाइसेंस दाता से सहारा का लाइसेंस निरस्त करने के लिए संस्तुति की गई है। 28 दिसंबर 2020 को मध्य प्रदेश जिला- सागर के जिला अधिकारी दीपक सिंह द्वारा सहारा इंडिया कंपनी का लगभग 100 एकड़ जमीन कुर्क करके 1,000 से अधिक निवेशकों का भुगतान करा गया।
31 अगस्त 2012 सर्वोच्च न्यायालय के दिए आदेश का आज तक सहारा ने पूर्णता पालन नहीं किया है। सेबी से प्राप्त आरटीआई से यह पाया गया है कि एंबार्गो सिर्फ रियल स्टेट और सहारा हाउसिंग की स्कीमों पर था।
कंपनी अपील एट इंसॉल्वेंसी नंबर-94/2018 के ट्रिपल बेंच के अनुसार सहारा इंडिया कंपनी ने दिवालिया करने का प्रयास किया किंतु आदेश 14 अगस्त 2019 को खारिज कर दिया गया और डायरेक्टर्स को बिना अनुमति विदेश जाने पर रोक लगा दी गई है। 7 दिसंबर 2020 को सहारा इंडिया गोरखपुर जोन के अधिकारियों ने लिख कर दिया है कि सहारा इंडिया कंपनी में पैसा जमा करने का कोई प्रावधान नहीं है।
गत दिसंबर माह के तीसरे सप्ताह में लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया है कि सहारा इंडिया कंपनी को रियल स्टेट और हाउसिंग दो कंपनियों के 25731करोड़ 35 लाख रुपए जमा करने थे। जबकि सहारा इंडिया कंपनी द्वारा अब तक 15472 करोड 60लाख रुपए ही जमा किए गए हैं। आंदोलनकारियों का आरोप है कि सरकार भी कहीं न कहीं से कंपनी को संरक्षण दे रही है। कितना भी शिकायत कर लो। कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इतना सब कुछ जानने के बाद भी यदि एजेंट्स धन जमा करा रहे हैं? और पेपर पलट रहे हैं? जमाकर्ता को गुमराह कर धोखे में रख रहे हैं? तो कहीं न कहीं संबंधित राज्य की सरकारें जिम्मेदार हैं।