
याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल उल्लंघन की जांच की मांग वाली जनहित याचिका दायर की थी
नई दिल्ली। कुछ लोगों का बस यही काम रह गया है कि पीआईएल दायर कर सस्ती लोकप्रियता बटोरते रहो। मुख्य न्यायाधीश इस मामले पर सख्त हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता पर ₹7,000 का जुर्माना लगाया है।
दरअसल मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई के महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल उल्लंघन की जांच की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। सीजेआई गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने इस याचिका को “सस्ती लोकप्रियता” हासिल करने की कोशिश करार देते हुए खारिज कर दिया। बेंच ने कहा कि यह मामला तूल देने योग्य नहीं है और इसे अनावश्यक रूप से बड़ा किया गया।
यह मामला 18 मई 2025 को सीजेआई गवई के महाराष्ट्र दौरे से जुड़ा है, जब वे बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा द्वारा आयोजित एक समारोह में शामिल हुए थे। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त के अनुपस्थित रहने पर प्रोटोकॉल उल्लंघन का मुद्दा उठा था। सीजेआई गवई ने इसे “मामूली मुद्दा” बताते हुए कहा था कि संबंधित अधिकारियों ने माफी मांग ली है और इसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं देखा जाना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार ने इस घटना के बाद सीजेआई को “स्थायी राज्य अतिथि” का दर्जा दिया और भविष्य में प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए।