
चरण सिंह
क्या वोट बैंक देश और सेना से भी ऊपर है ? क्या राजनीतिक दल सब कुछ वोट बैंक को ध्यान में रखकर करते हैं ? क्या वोट बैंक के चलते देश और समाज प्रभावित हो रहा है ? ये सवाल आज की तारीख में देश भर में चक्कर लगा रहे हैं। राष्ट्रवाद का ढिंढोरा पीटने वाली और सेना के लिए हर कुछ कुर्बान करने का दावा करने वाली बीजेपी अपने उस मंत्री को नहीं हटा पा रही, जिसने ऑपरेशन सिंदूर को लीड करने वाली कर्नल सोफिया को आतंकियों की बहन बता दिया। मोहन यादव सरकार भी देखिये कि एफआईआर भी हाई कोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि यह बयान सपा या कांग्रेस का कोई नेता दे देता तो क्या बीजेपी चुप बैठ जाती। जमीनी हकीकत तो यह है कि विजय शाह वाला बयान यदि किसी और पार्टी का नेता दे देता तो बीजेपी उस पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दे देती। बताया जा रहा है कि विजय शाह के खिलाफ बीजेपी और मोहन सरकार इसलिए कार्रवाई नहीं कर रही है, क्योंकि विजय शाह के साथ आदिवासी वोट बैंक है। मतलब यदि आपके पास वोट बैंक है तो फिर आप कुछ भी करते रहिये ? कुछ भी कहते रहिये ? आपका कुछ नहीं बिगड़ने वाला है। विजय शाह के मामले में यदि कोर्ट हस्तक्षेप न करता तो फिर इस मंत्री का कुछ न बिगड़ता।
ऐसा ही बयान समाजवादी पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव ने दे दिया। उन्होंने विंग कमांडर व्योमिका सिंह को दलित बताकर जाति से जोड़ दिया। इससे पहले समाजवादी पार्टी के सांसद राम जी लाल सुमन ने दलित वोटबैंक के लिए राज्य सभा में राणा सांगा को गद्दार तक बोल दिया था। उसके बाद समाजवादी पार्टी ने दलितों को लेकर जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन भी किया। वह बात दूसरी है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष की पार्टी होने के बावजूद बेरोजगारी, महंगाई और कानून व्यवस्था को लेकर सपा कोई प्रदर्शन न कर पाई हो।
ऐसा नहीं है कि कोई बीजेपी और सपा ही वोट बैंक के लिए कुछ भी करने को तैयार है ? चाहे बीएसपी हो, कांग्रेस हो, टीएमसी हो, एनसीपी हो या फिर आरएलडी लगभग सभी पार्टियां अपने अपने वोट बैंक को ध्यान में रखकर काम करती हैं। ऐसे भी नेता अब नहीं बचे हैं कि जो देश और समाज के नेता हों। नेता भी जाति और धर्म में बंट गए हैं। लगभग सभी दल एक दूसरे पर जाति और धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाएंगे और राजनीति सभी की जाति और धर्म पर टिकी है।
दरअसल सोमवार को कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान देने वाले मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह की माफी सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दी है। हालांकि गिरफ्तारी से उन्हें राहत मिल गई। उनकी याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें उन्होंने 14 मई के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। 16 मई को मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख दी थी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन के सिंह की बेंच ने सुनवाई की। मध्य प्रदेश पुलिस की वकील ने बेंच को बताया कि इंदौर पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच कर रही है। तीन आईपीएस की SIT का गठन किया जा रहा है। कोर्ट ने वकील से कहा कि कार्रवाई निष्पक्ष होनी चाहिए। बेंच ने कहा कि हमने मामले के तथ्यों को देखा. तीन डायरेक्टली रिक्रूटेड IPS की SIT बना रहे हैं। एमपी कैडर के यह अधिकारी मूल रूप से मध्य प्रदेश के बाहर के होंगे। SIT का गठन डीजीपी कल सुबह 10 बजे तक कर दें। उन्होंने कहा कि एसआईटी को आईजी रैंक के अधिकारी लीड करेंगे और टीम में एक महिला अधिकारी भी होंगी और एसआईटी टीम समय-समय पर स्टेटस रिपोर्ट दे. पहली स्टेटस रिपोर्ट 28 मई को दी जाए।