नई दिल्ली| दिल्ली में नगर निगम चुनाव से पहले बकाया फंड को लेकर आम आदमी पार्टी और भाजपा शासित निगम के बीच जुबानी जंग जारी है। दोनों ओर से तथ्यों को सामने रख एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर ने मंगलवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा बकाया फंड को लेकर निगम पर लगाए आरोपों का खंडन किया है। दक्षिणी नगर निगम के महापौर मुकेश सुर्यान ने कहा, “दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री को यह शोभा नहीं देता कि वह इस प्रकार फंड को लेकर गलत आंकड़े पेश करे और जनता से झूठ बोले, अगर नगर निगमों को दिल्ली सरकार से फंड प्राप्त हुआ होता तो उनके बैंक खाते में भी आता। सिर्फ कागजों में फंड दर्शाने से नगर निगमों को विकास कार्यो के लिए पैसा प्राप्त नहीं होता।”
“दिल्ली सरकार की यह मंशा है कि निगम चुनावों से पहले नगर निगमों को बिल्कुल निष्क्रिय बना दिया जाए। दिल्ली सरकार द्वारा लगातार ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं, ताकि नगर निगमों की छवि को धूमिल किया जा सके। महापौर ने दिल्ली सरकार को यह चुनौती दी कि अगर उनके आरोपों में सच्चाई है तो उन्हें साबित करके दिखाएं।”
इससे पहले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था, “दिल्ली सरकार पर एमसीडी का कोई बकाया नहीं है। बजट के अनुसार दिल्ली सरकार, एमसीडी को वित्तवर्ष 2021-22 में 3488 करोड़ रुपये देगी, वहीं दिल्ली सरकार अब तक इसकी 75 फीसदी राशि लगभग 2588 करोड़ रुपये 3 किस्तों में एमसीडी को दे चुकी है।”
“साथ ही बची हुई 25 फीसदी राशि जनवरी में दी जानी है, इसके बावजूद एमसीडी में बैठे भाजपा के नेता रो रहे हैं कि दिल्ली सरकार ने पैसे नहीं दिए, रोज मेयर ड्रामा करते है और अपने कर्मचारियों को पैसे नहीं देते।”
इसके बाद मंगलवार को महापौर द्वारा दिल्ली सरकार पर बकाया फंड को लेकर आंकड़े पेश किए गए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 से अब तक दिल्ली सरकार पर दक्षिणी निगम का प्लान मद में 1482.19 करोड़ रुपये व नॉन प्लान मद में 708.63 करोड़ रुपये बकाया है।
उन्होंने कहा, “पांचवें वित्तीय आयोग की सिफारिशों के अनुसार, दक्षिणी निगम को प्लान मद में इस वर्ष 2021-22 में 878.10 करोड़ रुपये का अनुदान मिलना था, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा सिर्फ 371.36 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुआ है, जबकि नॉन प्लान मद में 405.28 करोड़ रुपये का अनुदान मिलना था और केवल 246.05 करोड़ रुपये ही मिला है।”
उन्होंने आगे बताया, “तीसरे वित्तीय आयोग की सिफारिशों के अनुसार, वर्ष 2012 से लेकर 2016 तक 427.69 करोड़ रुपये बकाया है, जिसे लेने के लिए कोर्ट में केस चल रहा है।”
महापौर के मुताबिक, दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री नगर निगमों के फंड की जांच कराने की बात कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह बताना होगा कि दिल्ली में कैसे इतने अवैध शराब के ठेके खुल रहे हैं। दिल्ली सरकार को पहले इन अवैध शराब के ठेकों की जांच करानी होगी, जो बिना किसी एनओसी या उचित पॉलिसी के खुल गए हैं।
इसके अलावा, स्थायी समिति के अध्यक्ष (रिटायर्ड) कर्नल बी.के. ऑबराय ने बताया, “दिल्ली के तीनों नगर निगम इस समय विषम आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है। फंड न होने के कारण हमारी सभी योजनाएं व विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। नगर निगम स्वच्छता, कोरोना व मच्छरजनित बीमारियों के नियंत्रण, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व स्कूलों को चलाने जैसे मुख्य दायित्वों को नहीं निभा पा रहा है।”
उन्होंने कहा, “इस स्थिति में दिल्ली सरकार हमें आर्थिक रूप से पंगु बनाना चाहती है, लेकिन हम अपना बकाया फंड लेकर रहेंगे, यह हमारा अधिकार है।