
अक्षय तृतीया पर गन्ने के रस का प्रयोग करने से जीवन में मिठास आती है
करनाल, (विसु) : जैन साध्वी मानवी महाराज ने कहा है कि जैन धर्म में अक्षय तृतीया का अपना ही महत्व हैं। इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ने एक साल तक विना आहार के रहने के बाद गन्ने के रस से पारण किया था। उसके बाद जैन साधु और साध्वियां गन्ने के रस से उपवस का पारण करते हैं। उन्होंने बताया कि तीस अप्रैल को सुबह नौ बजे जैन साध्वी सोनाक्षी जी महाराज अपने तीसरे वार्षिक तप का पारण गन्ने के रस से करेंगी। उनका पारण समाज द्वारा करवाया जाएगा। जैन साध्वी मानवी जी महाराज ने कहा कि अक्षय तृतीया को गन्ने के रस का प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए। इससे जीवन में मिठास बनी रहती हैं। उन्होंने कहा कि जैन धर्म जीयो और जीने दो के सिद्धंात पर चलता है। जैन साध्वी मानवी महाराज के प्रवचन लंबे समय से चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी को मिल कर भाई चारे के साथ रहना चाहिए। इस अवसर पर एसएसजैन सभा हनुमान गली के महामंत्री नवीन जैन गौरव जैन आदि उपस्थित थे।