
बाल विवाह कराने वालों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान
करनाल, (विसु) । एडीसी यश जालुका ने बताया कि 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का विशेष त्यौहार है और इस पर्व पर अधिक मात्रा में बाल विवाह का होना पाया जाता है। उन्होंने सभी प्रशासनिक अधिकारी, सरपंच, पंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर, सोशल वर्कर, मैरिज हॉल के मालिक, शादी करवाने वाले पंडित, पादरी, गुरुद्वारा ग्रंथी सााहिब व मौलवियों से अपील करते हुए कहा कि अगर उन्हें किसी भी नाबालिग लडक़े व लडक़ी के बाल विवाह होने की सूचना प्राप्त होती है तो इसकी जानकारी तुरंत प्रभाव से संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी, करनाल तथा 1091,181,112 व सम्बन्धित थाना प्रभारियों व चौकी इन्चार्जों को दें ताकि समय रहते बाल विवाह को होने से रोका जा सके।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों और 21 वर्ष से कम आयु के लडक़ों का विवाह अवैध माना गया है। इसके तहत बाल विवाह कराने वालों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक समस्या नहीं है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को भी बाधित करता है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन के अन्य अवसरों को प्रभावित करता है। हम सभी को मिलकर इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए कदम उठाने होंगे।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन समाज की जागरूकता और सहयोग के बिना इसे खत्म करना मुश्किल है। बच्चों का शिक्षा प्राप्त करना, उनका मानसिक और शारीरिक विकास सुनिश्चित करना, समाज की जिम्मेदारी है। जब तक समाज बाल विवाह जैसी प्रथाओं के खिलाफ जागरूक नहीं होगा, तब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता।