
चरण सिंह
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के आक्रामक रुख को देखते हुए पहले तो पाकिस्तान ने परमाणु हमले की गीदड़ भभकी दी और अब नई पैंतरेबाजी करने लगा है। भारत को इस मामले में दूसरे देशों का भी समर्थन मिलने के चलते पाकिस्तान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अब हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग करने लगे हैं। पाकिस्तान का प्रयास है कि मामले में चीन को शामिल कर लिया जाए।
जानकारी मिल रही है कि कम से कम दो आतंकी पाकिस्तान के बताये जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीर मुनीर ने कश्मीर हमारे गले की वह नस है, जिससे हमारे दिमाग और ह्रदय तक ब्लड जाता है। उनका कहना था कि उन आतंकियों की मदद करनी चाहिए जो जम्मू कश्मीर में हैं। असीर मुनीर के यह कहने के तुरंत बाद पहलगाम आतंकी हमला हुआ। मतलब असीर मुनीर ने पाक के नापाक इरादे जाहिर कर दिए थे।
देखने की बात है कि भारत के साथ रूस और अमेरिका खुलकर आ गया है। ऐसे में पाकिस्तान अपने को अलग-थलग महसूस कर रहा है। इस बार अमेरिका भी पाकिस्तान की कोई मदद नहीं करने जा रहा है, क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं, जो पाकिस्तान को पसंद नहीं करते हैं। पाक को किसी तरह की फंडिगं करने में कोई विश्वास नहीं रखते हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी भारत का साथ देना ऐलान कर दिया है। इजराइल समेत अधिकतर देश भी भारत के साथ हैं। मुस्लिम देशों को भी पीएम मोदी ने साध रखा है।
ऐसे में पाकिस्तान की समझ में आ गया है कि इस बार यदि युद्ध शुरू हुआ तो पाकिस्तान का नाम नक़्शे से ही मिट जाएगा। पाकिस्तान के सामने यह भी बड़ी समस्या है कि पाकिस्तान में पहले से ही भुखमरी मची है। महंगाई चरम पर है। युद्ध होते ही पाकिस्तान में बगावत होने के आसार पैदा हो जाएंगे। ऐसे में पाकिस्तान को पहले अपने नागरिकों से निपटना पड़ेगा।
दरअसल पाकिस्तान में अधिकतर पैसा तो आईएसआई और सेना के अधिकारियों पर खर्च होता है। भूखी मर रही पाकिस्तान की जनता भी चाहती है कि अब कुछ ऐसा हो जाए कि पाकिस्तान में भारत का हस्तक्षेप हो। ऐसे में पाकिस्तान का ख्याल रखना भारत की जिम्मेदारी हो जाएगी। वैसे भी भारत में न केवल हिन्दू बल्कि मुस्लिम भी पाकिस्तान से को सजा देने की मांग कर रहे हैं। आज की तारीख में पूरा माहौल पाकिस्तान के खिलाफ है।
भारत में आवाज भी उठ रही है कि अब नहीं तो फिर कभी नहीं। मतलब अब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध करना ही है। मोदी सरकार के सामने यह भी दिक्कत है कि इस बार भारत के लोगों ने सरकार से कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगा ली है। लोगों का गुस्सा तभी कम होगा जब पाकिस्तान के खिलाफ कुछ बड़ा होगा। नहीं तो इस बार जनता सरकार में बैठे लोगों का जीना मुश्किल कर देगी।