99 फीसदी घरों तक पहुंचा नल का जल

 98 फीसदी शिकायतों का हो रहा समाधान

 

-सीजीआरजी प्रणाली के जरिए विभाग को जलापूर्ति से जुड़ी 70 हजार 343 शिकायतें आई
-इनमें 69 हजार 774 शिकायतें का समाधान विभाग ने कर लिया
-निर्मित एवं संचालन से जुड़ी 31 हजार 585 शिकायतें मिली, जिसमें 31 हजार 292 का हुआ निवारण
-टॉल-फ्री नंबर 1800-123-1121/1800-345-1121/155367 पर कोई व्यक्ति कर सकते शिकायत

पटना। दीपक कुमार तिवारी।

राज्य के शहरी और ग्रामीण इलाकों में 99.20 प्रतिशत घरों को हर घर नल का जल योजना के तहत स्वच्छ पेयजल मयस्सर कराया जा रहा है। इस योजना का क्रियान्वयन सुचारू तरीके से करने के लिए पीएचईडी (लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग) ने शिकायतों का निपटारा कम से कम समय में कराने की व्यवस्था स्थापित की है। विभिन्न जिलों से सीजीआरसी प्रणाली के जरिए विभाग को जलापूर्ति से जुड़ी 70 हजार 343 शिकायतें प्राप्त हुई, जिसमें से 69 हजार 774 शिकायतों का विभाग ने समाधान कर जलापूर्त्ति शुरू कर दी है।

योजना के निर्मित एवं संचालन से जुड़ी 31 हजार 585 शिकायतें प्राप्त हुई थी, जिसमें 31 हजार 292 का निवारण कर लिया गया है। वही पंचायती राज विभाग से हस्तांतरित योजनाओं के तहत प्राप्त 38 हजार 758 शिकायतों में 38 हजार 487 का निवारण किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में शामिल हर घर नल का जल योजना के अंतर्गत शहरी क्षेत्र में मौजूद सभी घरों को इससे जोड़ दिया गया है। सितम्बर 2024 तक राज्य के 1 लाख 14 हजार 050 में 1 लाख 13 हजार 874 ग्रामीण और 203 शहरी वार्डों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति शुरू कर दी गई है। 18.47 लाख परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है। जबकि 75 हजार परिवार कनेक्शन से वंचित हैं। 4 हजार परिवारों ने नल जल का कनेक्शन लेने इनकार कर दिया है। स्थानीय निकायों और बुडको के स्तर से 3 हजार 398 में 3 हजार 370 वार्डों में नल जल कनेक्शन दिया है। वर्तमान में 1.74 करोड़ से अधिक घरों तक नल का जल पहुंचाया जा रहा है।

टॉल-फ्री नंबर पर भी कर सकते शिकायत:

पीएचईडी इस योजना से संबंधित शिकायतों पर तत्वरित कार्रवाई करने के लिए एक टॉल-फ्री नंबर भी जारी कर रखा है। फरवरी 2025 तक आम नागरिकों के स्तर से टॉल-फ्री नंबर 1800-123-1121/1800-345-1121/155367 पर 4 हजार 511 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इसके अलावा 2 हजार 237 शिकायतें व्हाट्स एप नंबर 8544429024/8544429082 के माध्यम से 128 शिकायतें स्वच्छ नीर एप पर सीधे प्राप्त हुई हैं। 4 हजार 297 शिकायतें जिला नियंत्रण कक्ष, 4 हजार 083 शिकायतें वेब पोर्टल पर, 466 शिकायतें ई-मेल से प्राप्त की गई हैं। इन सभी को मिलाकर कुल 15 हजार 722 शिकायतों में 14 हजार 295 शिकायतों का समाधान कर संबंधित जलापूर्ति को क्रियाशील किया गया है।

अब राज्य में सभी तरह के खाद्य एवं पेय पदार्थों की ऑन स्पॉट जांच की सुविधा शुरू होने जा रही है। इस लैब की मदद से ऑन स्पॉट टेस्टिंग पर भी काम कर रही है। अभी राजधानी पटना, भागलपुर और पूर्णिया में फूड टेस्टिंग वैन चलाई गई है। ये वैन बाजार से सैंपल लेकर ऑन स्पॉट टेस्टिंग करते हैं। सरकार जल्द ही प्रदेश के हर जिले में चलंत टेस्टिंग वैन की सुविधा शुरू होने जा रही है।

पटना में राज्य का पहला माइक्रोबायोलॉजी लैब सुचारू तरीके से काम करने लगा है। यहां दूध, दही, मिठाई, मांस, मछली, पानी समेत अन्य किसी तरह के खाद्य पदार्थों की जांच कराकर इसकी असलियत का पता लगाया जा सकता है। यहां आम लोग भी किसी तरह के खाद्य पदार्थ में मिलावट की जांच करवा सकते हैं।

45 साल पुराना है ये लैब:

शहर के अगमकुआं में बने इस फूड और ड्रग टेस्टिंग लैब को बनाया गया है। ऐसे तो यह लैब 1980 से काम कर रहा है। परंतु अभी यहां माइक्रोबायोलॉजी और एडवांस टेक्नोलॉजी के उच्च स्तरीय उपकरण अनुभाग की शुरुआत की गई है। यह राज्य का एक मात्र आधुनिक तकनीकों से लैस विश्व स्तरीय खाद्य प्रयोगशाला है। इस प्रभाग के शुरू होने से पहले तक यहां सिर्फ केमिकल टेस्टिंग होती थी। अब इसमें माइक्रोबायोलॉजी और एडवांस टेक्नोलॉजी आधारित जांच शुरू हो गई है। इसे नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड (NABL) और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) से भी मान्यता मिल चुकी है।

तीन तरह की जांच होगी:

* हाईटेक मशीनों से जांच – एडवांस मशीनों से खाने की चीजों में मिलावट और हानिकारक तत्वों की पहचान।
* बैक्टीरिया और माइक्रोब्स की जांच – दूध, मांस, मछली और पानी में मौजूद बैक्टीरिया की सही पहचान।
* केमिकल टेस्टिंग – खाने-पीने की चीजों में केमिकल और जहरीले पदार्थों की जांच।

6 करोड़ की लागत से तैयार हुई यह लैब:

इस लैब को राज्य सरकार और FSSAI ने संयुक्त रूप से 6 करोड़ रुपये खर्च कर अपग्रेड किया है। लैब में गैस क्रोमाटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेटरी (जीसी-एमएसएमएस) की मदद से खाने में कीटनाशकों और फैट की जांच होती है। लिक्विड क्रोमाटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेटरी (एलसी-एमएसएमएस) खाने में एंटीबायोटिक्स, हानिकारक रंग और जहरीले पदार्थ की जांच कर सकते हैं। इंडक्टिवली कपल्ड प्लाजमा मास स्पेक्ट्रोमेटरी (आईसीपी-एमएस) की मदद से खाने में लेड, कैडमियम जैसे भारी धातुओं की पहचान की जा सकती है।

  • Related Posts

    खाद्य सुरक्षा एवं मिलावट जागरूकता पर सेमिनार आयोजित

    इंद्री, (सुनील शर्मा)। राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आई.टी.आई.)…

    Continue reading
    मुख्यमंत्री ने मंजू कुमारी सिन्हा की पुण्यतिथि पर दी भावभीनी श्रद्धांजलि

    पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी धर्मपत्नी…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    नोएडा में आयोजित डान्स टू स्पार्कल – समर डांस फेस्टिवल 2025 का आयोजन

    • By TN15
    • May 15, 2025
    नोएडा में आयोजित डान्स टू स्पार्कल – समर डांस फेस्टिवल 2025 का आयोजन

    सोशल मीडिया पर अवैध हथियार के साथ फोटो लगाने वाले को पुलिस ने दबोचा

    • By TN15
    • May 15, 2025
    सोशल मीडिया पर अवैध हथियार के साथ फोटो लगाने वाले को पुलिस ने दबोचा

    नगर निगम ने फूगसढ़ गांव में साढे 3 एकड़ भूमि को करवाया कब्जा मुक्त : डॉ. वैशाली शर्मा

    • By TN15
    • May 15, 2025

    निगमायुक्त डॉ. वैशाली शर्मा ने विभिन्न वार्डों का किया दौरा

    • By TN15
    • May 15, 2025
    निगमायुक्त डॉ. वैशाली शर्मा ने विभिन्न वार्डों का किया दौरा

    गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के जन्मदिन पर लगाया रक्तदान शिविर

    • By TN15
    • May 15, 2025
    गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के जन्मदिन पर लगाया रक्तदान शिविर

    गांवों के स्वस्थ नौजवान अपने-अपने गांवों में दें रात्रि के समय ठीकरी पहरा : डीसी

    • By TN15
    • May 15, 2025
    गांवों के स्वस्थ नौजवान अपने-अपने गांवों में दें रात्रि के समय ठीकरी पहरा : डीसी