दलितों और मुस्लिमों की पहली पसंद बनते जा रहे चन्द्रशेखर आजा़द

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अफसार मंसूरी 

आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, नगीना सांसद चन्द्रशेखर आजाद दलितों की पहली पसंद के साथ साथ उनके चहेते भी बनते जा रहे हैं। देश और प्रदेश की राजनीति में लम्बे समय तक दलितों की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी की मुख्यमंत्री रही बहिन मायावती जी से दलित समाज का धीरे धीरे उनसे दूर होते जाना उनके लिए घातक साबित हो रहा है। जिस तरह से पिछले कई चुनावों में बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन रहा है उससे साफ जाहिर होता है कि दलित समाज का रुझान मायावती जी में कम होता जा रहा है। यूपी की चार बार की मुख्यमंत्री रहीं और एक बार तो अपने दम पर बहुमत के साथ सरकार में रहीं बहिन जी की पार्टी का हाल पिछले कई चुनावों से दिनों दिन कमज़ोर ही होता ज रहा है। 2014 और 2024 के लोकसभा चुनावों में जहाँ पार्टी का एक भी सदस्य लोकसभा में नहीं पहुंच सका वहीं 2022 के यूपी विधानसभा के चुनावों की बात की जाये तो सिर्फ एक विधायक ही विधानसभा में पहुँच सका है। ऐसे में माना जा रहा है कि दलित समाज का बडे़ पैमाने पर झुकाव आजाद समाज पार्टी चन्द्रशेखर की तरफ होता जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण 2024 के लोकसभा चुनावों में देखने को भी मिल गया है। जहाँ दलित बाहुल्य सीट नगीना में बहुजन समाज पार्टी का माने जाने बाला वोटर एकजुट होकर चन्द्रशेखर के पक्ष में मतदान कर दिया जिसका नतीजा ये हुआ कि चन्द्रशेखर संसद पहुँच गये। दलितों का चन्द्रशेखर की तरफ बडी़ तादाद में झुकाव होना सबसे ज्यादा मायावती जी के लिए ही नुकसान दायक होता जा रहा है। चन्द्रशेखर की रैलियों और जनसभाओं में जिस तरह से भीड़ देखने को मिल रही इससे साबित हो रहा कि चन्द्रशेखर को दलितों ने अब अपना नेता मान लिया है और चन्द्रशेखर भी दलितों की आवाज को संसद और सड़क पर जिस अंदाज से उठा रहे जिसकी वजह से भी दलित समाज उनसे जुडता ही चला जा रहा है। चन्द्रशेखर दलितों पर हो रहे अत्याचार को लेकर सीधे सीधे सरकार और प्रशासन को घेरने का काम भी जोर शोर से कर रहे हैं।दलितों के मुद्दों को चन्द्रशेखर संसद में जिस अंदाज से उठाते हैं और सरकार से जिस अंदाज में सबाल जवाब करते हैं जिसकी वजह से वह दलित समाज के और भी करीब ही आते जा रहे हैं। देश और प्रदेश में जहाँ कहीं भी दलितों के साथ अन्याय और अत्याचार होता है चन्द्रशेखर का उस पर तुरंत संज्ञान लेना और तो और वहाँ खुद पहुँच कर पीडितों को मदद का भरोसा देना ही लोगों का उनके करीब आने की एक बड़ी वजह है। वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समाज भी धीरे धीरे चन्द्रशेखर के करीब आता जा रहा है इसका ताजा उदाहरण उनका नगीना से सांसद बनना है जहाँ दलितों ने एकजुट होकर उनके पक्ष में मतदान किया वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समाज ने भी दिल खोलकर चन्द्रशेखर को संसद में पहुचाने में कोई कमी नहीं दिखाई। चन्द्रशेखर भी जहाँ दलितों के मुद्दों को गम्भीरता के साथ उठाते हैं वहीं दूसरी तरफ मुस्लिमो के मुद्दों पर भी खुलकर मुस्लिम समाज का साथ देते हैं। चाहे सीएए, एन आरसी, का मुद्दा हो या फिर पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर की गई टिप्पणी हो,चाहे नमाज़ की बात हो।आजम खान साहब से भी बार बार मुलाकात करना उनके हक मे आवाज उठाना और आजम खान साहब के परिवार के सदस्यों उनकी वीवी और बेटे अबदुल्ला आजम से मुलाकात करना भी मुस्लिम समाज में उनकी लोकप्रियता को बढावा मिल रहा है। दलितों और मुस्लिमो का चन्द्रशेखर की तरफ बढता झुकाव आने बाले समय में मायावती जी, अखिलेश यादव ,और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।

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