मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन

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-दिल तो दिल है कहां सम्भलता है…

मुजफ्फरपुर। शहर के श्री नवयुवक समिति ट्रस्ट के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डाॅ. लोकनाथ मिश्र, मंच संचालन सुमन कुमार मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत आचार्य श्री जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत- यह संवार सितार आया, शारदे झनकार दे सब तार, तेरे द्वार आया… से किया गया। डाॅ. संगीता सागर ने- जब लेता है सागर, सूरज को अपने आगोश है… सुनाई, जिस पर भरपूर तालियां बजती रही। प्रमोद नारायण मिश्र ने- मानव जीवन अनमोल है भैया, इसे न व्यर्थ गवाना है… सुनाया। शायर डाॅ.नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने ग़ज़ल- दर्दे दिल जब कभी मचलता है, अश्क बन – बन के गम पिघलता है, लाख कोशिश करूँ सम्भलने की, दिल तो दिल है कहाँ सम्भलता है…सुनाकर भरपूर दाद बटोरी। ओमप्रकाश गुप्ता ने- भाई से भाई ही क्यों दुश्मन बन जाते है….सुनाया। डाॅ लोकनाथ मिश्र ने- रंग बिना था जीवन अधूरा, बिखरे रंगों को मैंने बटोरा… सुनाकर तालिया बटोरी। सुमन कुमार मिश्र ने- गाल फुलाना और मुस्काना, दोनों संग- संग बहुत कठिन है…सुनाया। अरुण कुमार तुलसी ने- सार में संक्षेप का हस्तक्षेप न हो, सत्य में असत्य का प्रवेश न हो… सुनाया। रामबृक्ष राम चकपुरी ने- दिल तोड़ने का बहाना न ढूंढ़कर अज्ञान बनकर… सुनाया। अशोक भारती ने- तुम अंधेरे में रहोगे या उजालों में रहोगे, फैसला तुमको है करना… सुनाया। डाॅ.जगदीश शर्मा ने- पालतू पराधीन, घरवाली के अधीन अब हो गया हूं… सुनाकर भरपूर दाद बटोरी। अंजनी कुमार पाठक ने- हवा अब दिशायें बदलने लगी है… सुनाकर तालियां बटोरी। सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने- काहे लागि हो तू जनम दिहलू मोरा के… सुनाकर भरपूर दाद बटोरी। मुन्नी चौधरी ने- हंसी खुशी का देश हमारा… सुनाई। इसके अलावे सुरेन्द्र कुमार, रणवीर अभिमन्यू, रमेश केजरीवाल, श्याम पोद्दार, चिराग पोद्दार,पल्लव कुमार सुमन की रचनाएं भी सराही गई।

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