मुजफ्फरपुर। स्वतंत्रता सेनानी एवं किसान नेता दामोदर प्रसाद सिंह की 111वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। जागृति संस्था एवं सिया-दामोदर फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध समालोचक डॉ. प्रो. राम प्रवेश प्रसाद सिंह ने की। यह आयोजन थियोसोफिकल लॉज, नया टोला, मुजफ्फरपुर में संपन्न हुआ।
दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ:
समारोह का उद्घाटन डॉ. राम प्रवेश प्रसाद सिंह, डॉ. रवींद्र उपाध्याय, उदय नारायण सिंह, डॉ. देवव्रत अकेला एवं आचार्य चंद्र किशोर पराशर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। डॉ. सोनी सुमन की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
दामोदर बाबू: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
डॉ. हरि किशोर प्रसाद सिंह ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि उनके पिता दामोदर प्रसाद सिंह का जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण का उदाहरण था। वरिष्ठ कवि उदय नारायण सिंह ने कहा, “दामोदर बाबू अपनी यशोकाया में आज भी जीवंत हैं, क्योंकि उनके कार्य आज भी प्रेरणा दे रहे हैं।”
डॉ. राम प्रवेश प्रसाद सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि दामोदर बाबू का व्यक्तित्व समुद्र की गहराई और हिमालय की ऊंचाई की तरह विराट था। डॉ. रवींद्र उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने अपने कर्मों से यश की खेती की, जिसका फल आज भी समाज देख रहा है।
आचार्य चंद्र किशोर पराशर ने उन्हें सदाचार और नैतिकता का प्रतीक बताया, वहीं डॉ. देवव्रत अकेला ने कहा कि वे दलितों, वंचितों और गरीबों के पथ प्रदर्शक थे।
सम्मान समारोह एवं कवि गोष्ठी:
इस अवसर पर डॉ. देवव्रत अकेला, डॉ. सतीश कुमार राय, आचार्य चंद्र किशोर पराशर एवं श्री मुकेश सोना को “दामोदर प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान” से सम्मानित किया गया।
दूसरे सत्र में डॉ. रवींद्र उपाध्याय की अध्यक्षता में एक कवि गोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें उदय नारायण सिंह, डॉ. देवेंद्र अकेला, डॉ. शैल केजरीवाल, डॉ. सोनी सुमन, प्रमोद नारायण मिश्र, सोनू कुमार एवं डॉ. अनु शांडिल्य ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।