चंपारण सत्याग्रह के बाद मोहनदास गांधी बने महात्मा गांधी : कोविंद

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किसान उन्नति मेला के दूसरे दिन पशुपालक एवं अनुसूचित जाति किसान सह लखपति दीदी का सम्मा

मोतिहारी । राजन द्विवेदी।

चंपारण की धरती का विशेष महत्व है। जो नई पीढ़ी को मालूम नही होगा। जो भारत माता को बंधनमुक्त करना चाहते थे उन्होंने चंपारण को चुना और गांधी जी के नेतृत्व में यही से चंपारण सत्याग्रह आरंभ किया। इतना ही नहीं चंपारण की धरती मां जानकी और भक्त ध्रुव मानव सभ्यता का पालन किया है। महात्मा गांधी चंपारण में मोहनदास गांधी बन कर आए। चंपारण सत्याग्रह के बाद चंपारण वासियों ने उन्हें महात्मा बनाया। चंपारण आने बाद से ही उन्हें महात्मा कहा जाने लगा। आज भी सत्याग्रह सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। उक्त बातें रविवार को स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में आयोजित तीन दिवसीय किसान उन्नति मेला के दूसरे दिन पशुपालक एवं अनुसूचित जाति किसान सह लखपति दीदी का सम्मान कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए देश पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नही। इससे पहले अतिथियों सम्मान अंगवस्त्र व मेंमोटो देकर किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति श्री कोविंद, सूबे के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, कृषि व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, पूर्व केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद राधामोहन सिंह, गन्ना मंत्री कृष्णनंदन पासवान, कुलपति डॉ. पीएस पांडेय आदि ने संयुक्तरूप से दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने आगे अपने सम्बोधन कहा कि कहा कि जिस किसान दीदी राजकुमारी देवी को राष्ट्रपति के रूप पद्मश्री से सम्मानित किया उनको आज सम्मानित कर हर्ष अनुभव कर रहे हैं। आज भी 50 फीसद आबादी कृषि पर निर्भर है। जबकि बिहार के 80 फीसद लोग कृषि पर निर्भर हैं। बिहार के किसानों की साहस अहिंसा का अनूठा उदाहरण है। राष्ट्र और बिहार का विकास कृषि की उन्नति पर निर्भर है। कहा कि बिहार का राज्यपाल बनने का सौभाग्य मुझे वर्ष 15 में मिला। राज्यपाल से राष्ट्रपति बनने का श्रेय बिहार की धरती को जाता है।इसलिए लोग मुझे बिहारी राष्ट्रपति भी कहते हैं। मैं पहला राष्ट्रपति था जो राज्यपाल से सीधे राष्ट्रपति बना। इसके पूर्व जाकिर हुसैन राज्यपाल से उपराष्ट्रपति बनने के बाद राष्ट्रपति बने थे। भारत का कृषि क्षेत्र विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ा है। इस बदलते युग में कृषि विज्ञान केंद्र एवम कृषि विश्वविद्यालय की महती भूमिका है। बदलते मौसम का प्रतिकूल प्रभाव कृषि पर भी पड़ रहा। इस सिलसिले में कृषि वैज्ञानिकों का दायित्व महत्वपूर्ण हो जाता है। नये तकनीक को लैब से लैंड तक ले जाने की जरूरत है। आने वाले समय मे उत्पादों की मात्रा बढ़ेगे। मोटे अनाज जिसे श्रीअन्न भी कहा जाता है, उसे बढ़ावा देने की जरूरत है।

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