पारस ने नीतीश को बताया पासवान विरोधी
दीपक कुमार तिवारी
पटना। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) अध्यक्ष पशुपति पारस एनडीए से नाराज हैं। नीतीश कुमार के फैसलों पर उन्होंने सवाल उठाए हैं। पारस ने नीतीश कुमार को ‘पासवान विरोधी’ तक कह दिया। वे अपने पार्टी के नेताओं के साथ धरने पर भी बैठ गए। यह धरना बिहार सरकार के एक फैसले के विरोध में था। धरने में पूर्व सांसद सूरज भान सिंह और प्रिंस पासवान भी शामिल थे। पारस का दर्द एनडीए में उपेक्षा के कारण फूटा है। उन्होंने नीतीश कुमार की ‘राजनीति’ और ‘नीति’ पर भी सवाल उठाए। आरएलजेपी प्रमुख के तेवर देखकर लगता है कि एनडीए के अंदर कुछ ठीक नहीं चल रहा। आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में और उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।
धरना पर बैठने की वजह अरवल में निकाला गया एक विज्ञापन बन गया। इस विज्ञापन में दफादार-चौकीदार पद को जनरल कर दिया गया। जबकि, पूर्व मंत्री पशुपति पारस ने बताया कि दफादार-चौकीदार पद पर 90 प्रतिशत दलित और उसमें भी पासवान जाति के लोग ज्यादा लोग काम कर रहे थे। ये प्रथा हजारों वर्ष पुरानी है। मुगल, अंग्रेज के समय से ही पासवान जाति इस पद पर रह कर समाज की सुरक्षा करती थी। अब नीतीश कुमार की सरकार इस पद को जनरल (अनारक्षित) कर पासवान जाति का हक मारना चाहती है। पासवान जाति का ये हक हम लेकर ही रहेंगे। जब तक ये हक नहीं मिलेगा, तब तक हम धरना देते रहेंगे।
धरना स्थल पर पत्रकारों ने जब पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से धरना का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि आज डंके की चोट पर कहता हूं कि नीतीश कुमार ‘पासवान विरोधी’ हैं। नीतीश सरकार जब सत्ता में आई तो सबसे पहले राज्य में दलित को दो भाग में बांट दिया। दलित को कमजोर करने के लिए दलित को दो भागों में बांट दिया। एक दलित और दूसरा महादलित। महादलित से पासवान को छांट डाला। दलित की सुविधा महादलित भोगने लगे। ये केवल पासवान जाति को कमजोर करने के लिए किया गया। इसी वजह से पशुपति पारस ने नीतीश कुमार को पासवान जाति का विरोधी कहा।