जुनून और जज्बा ऐसा कि भूखे रहकर भी जीत लिया वर्ल्ड कप!

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बिहार भागलपुर के गोपालपुर प्रखंड के डिमाहा गांव की मोनिका ने खो खो वर्ल्ड जीतने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में 13-19 जनवरी तक हुई खो-खो वर्ल्ड कप का आयोजना

पहला मैच साउथ कोरिया और फ़ाइनल मैच खेला गया नेपाल के साथ

नेपाल को 78-40 से शिकस्त देकर जीता वर्ल्ड कप, मोनिका ने अर्जित किये छह अंक  

चरण सिंह
नई दिल्ली। यदि किसी बच्चे को भरपेट खाना न मिले और वह वर्ल्ड चैम्पियन बन जाए। समझ सकते हैं कि उस बच्चे को कितना संघर्ष करना पड़ा होगा। कितनी बड़ी चुनौतियों का सामना उसे करना पड़ा होगा। हर किसी की जिज्ञासा होगी उन बारे में जान्ने की। जी हां मैं बात कर रहा हूं भागलपुर के अनुमंडल नौगछिया के गांव दिमाहा गांव की मोनिका शाह की। मोनिका ने 13-19 तक इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम चले खो खो व वर्ल्ड कप जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फ़ाइनल मैच नेपाल के खिलाफ खेला गया और भारत ने यह मैच 78-40 से जीत लिया। मोनिका ने इस मैच में 6 अंक लिए।
मोनिका का यह सफर कितना संघर्ष भरा रहा इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। मोनिका का  घर आज भी मिट्टी का है। उनको न तो फ्री गैस सिलेंडर का फायदा मिला है और न ही प्रधानमंत्री आवास का। मोनिका को इस संघर्ष में सब्जी तक बेचनी पड़ी। उनको पिता ने न केवल रिक्शा चलाया बल्की दिल्ली में सब्जी भी बेची।
इस उपलब्धि से मोनिका के परिवार में खुशी की लहर है। एक तरफ खुशी है तो दूसरी परिवार आज भी संघर्ष से गुजर रहा है। मोनिका के घर की कहानी जानकर आप भी भावुक हो जाएंगे. मोनिका का घर भागलपुर के अनुमंडल नवगछिया के डिमाहा गांव में है। पिता बिनोद साह ने कभी रिक्शा चलाया तो कभी दिल्ली में सब्जी बेची। गांव में कच्चा मकान (मिट्टी का) है। आज भी इस घर में गैस चूल्हा नहीं है। परिवार कितनी गरीबी से जूझ रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मोनिका का फ़ाइनल मैच चल रहा था तो मोनिका के परिवार वाले पड़ौसी के घर जाकर टीवी पर मैच देख रहे थे।
मोनिका के पिता बिनोद साह कहते हैं कि उन्होंने कभी इसके बारे में सोचा न था। वो तो अपनी बेटी को कहते थे कि पढ़ाई करती हो पढ़ाई करो। उन्होंने कहा कि वे पहले रिक्शा चलाते थे। 13 साल उन्होंने रिक्शा चलाया। बेटी को छोड़ने के लिए रिक्शा से स्कूल चले जाते थे। जब उसे होश हुआ तो खुद स्कूल चली जाती थी। दिल्ली में ही उन्होंने सब्जी भी बेची।
मोनिका का कहना है कि दो वक्त की रोटी भी मिल जाए तो बहुत कुछ है। मोनिका ने संघर्ष करते हुए सब्जी भी बेचीं। पिता का हाथ भी बताया। कोरोना महामारी में उनके परिवार को गांव जाना पड़ा। मोनिका का कहना है कि उनके पिता बटाई पर खेती करते हैं। उन्होंने कहा कि 2010 में जब उन्होंने नेशनल मैच खेला था तो उन्हें एक टीशर्ट मिली थी जिसे वह आज भी सम्भाल कर रखती हैं। उनका कहना है कि वह टी शर्ट उन्होंने एक साल तक पहनी।
दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में 13 से 19 जनवरी तक खो-खो वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ। इसमें बिहार की बेटी मोनिका भारतीय महिला टीम से खेल रही थी। फाइनल मैच इंडिया-नेपाल के बीच खेला गया जिसमें भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने मैच में नेपाल को वापसी करने का मौका नहीं दिया और विश्व खिताब को अपने नाम कर लिया। खो-खो का फाइनल मैच 19 जनवरी को खेला गया।
बता दें कि 13 जनवरी से नई दिल्ली में खो खो वर्ल्ड कप चल रहा था। वीमेंस टीम इंडिया ने पहला मैच साउथ कोरिया के खिलाफ खेला था। भारत ने यह मुकाबला बहुत ही बड़े अंतर से जीता था। वीमेंस का फाइनल मैच भारत और नेपाल के बीच खेला गया। इस मुकाबले में भारत को नेपाल से टक्कर मिली। हालांकि टीम इंडिया ने बड़ी बढ़त के साथ मैच को जीत लिया। टीम इंडिया ने उसे 78-40 के अंतर से हराया।

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