चरण सिंह
जो गलती किसी समय तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कांग्रेस कर रही थी वही गलती आज की तारीख में प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी को लेकर बीजेपी कर रही है। बीजेपी जितनी भी राहुल गांधी की मजाक बनाएगी, जितना भी निशाना साधेगी राहुल गांधी उतना ही मजबूत होकर उभरेंगे। यह बात बीजेपी की लोकसभा चुनाव में समझ में आ गई होगी। राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता छीनी गई। उनको सजा भी हुई। क्या हुआ ? राहुल गांधी को जितना परेशान किया गया वह उतने ही मजबूती से उभरे। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जो समाजवादी पार्टी की 37 सीटें आईं वह राहुल गांधी की वजह से आई। आज की तारीख में भले ही अखिलेश यादव ने दिल्ली में आप को समर्थन दिया हो पर वह भी जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने मुस्लिम वोटरों के छिटकने के डर से कांग्रेस से गठबंधन किया था। विधानसभा चुनाव में यदि कांग्रेस से सपा का गठबंधन नहीं होता तो अखिलेश यादव की समझ में आ जाएगा। ये जो क्षेत्रीय दल राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन को लीड करने की बात कर रही थी। इन सब बातों से राहुल गांधी का कद बढ़ेगा न कि घटेगा। ऐसा ही कुछ बीजेपी कर रही है। जब गृह मंत्री अमित शाह के बाबा भीम राव अंबेडकर के बयान के विरोध में कांग्रेस देशभर में अभियान चलाये हुए है। अंबेडकर कार्ड चलने की फ़िराक में है। बिहार में आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है तो ऐसे ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद अश्विनी चौबे ने राहुल गांधी को नकली गांधी, उनके परिवार को गांधी और संविधान का हत्यारा बताने की क्या जरूरत थी ?चौबे ने जो राहुल गांधी को अम्बेडकर का दत्तक पुत्र जो कहा है उसके पीछे उनका क्या तर्क हो सकता है। इससे क्या कांग्रेस को नुकसान होगा ? कांग्रेस तो राहुल गांधी को अंबेडकर का उत्तराधिकारी घोषित करने के प्रयास करेगी। ऐसे में यदि कांग्रेस से उसका खोया हुआ दलित वोटबैंक सट गया तो समझा जा सकता है कि कांग्रेस बीजेपी का हर राज्य से सूपड़ा साफ़ कर देगी और केंद्र की सत्ता भी हिला देगी। दरअसल ऐसे में जब बिहार में राहुल गांधी गए ही थे अम्बेडकर कार्ड खेलने तो चौबे के उनको और मौका दे दिया है। जहां तक अश्विनी चौबे का राहुल गांधी को उनका हत्यारा बताने की बात है तो गांधी का हत्यारा तो नाथूराम गोडसे को बताया जाता है। बीजेपी के नेता तो लगातार गांधी की आलोचना करते रहे हैं। वैसे भी यह कहा जाता है कि राजनीति में जिसकी जितनी आलोचना होती है वह उतना ही मजबूती से उभरता है।