चरण सिंह
तो क्या बसपा मुखिया अब आकाश आनंद को खुलकर मौका देने के मूड में आ गई हैं। जिस तरह से बसपा ने गृह मंत्री अमित द्वारा अम्बेडकर पर दिए बयान के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किया। जिस तरह से आकाश आनंद ने दिल्ली में प्रदर्शन करते हुए न केवल अमित शाह को ललकारा वहीं कांग्रेस को भी निशाने पर लिया उससे वह लय में दिखे। ऐसे में देखना यह होगा कि मायावती आकाश आनंद को कितना खुलकर खेलने का मौका देती हैं।
यदि मायावती को बसपा को फिर से खड़ा करना है। अपने भतीजे आकाश आनंद को राजनीति में खड़ा करना है तो लगातार बीजेपी पर आक्रामक होना होगा। हालांकि जिस तरह से लोकसभा में सीतापुर में आकाश आनंद बीजेपी पर ज्यादा आक्रामक हो गए थे तो मायावती ने उन्हें घर बैठा दिया था। तो क्या मायावती बीजेपी का दबाव झेल पाएंगी ? क्या वह सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी के छापे के डर से बाहर निकल पाएंगी ?
दरअसल मायावती ने सेकंड लाइन का कोई नेता तैयार ही नहीं किया। आकाश आनंद उनका लाडला है उसे जेल जाते वह कैसे देख सकती हैं ? और नेता बिना जेल जाए बिना नहीं निखर सकता। यदि आकाश आनंद आंदोलन के नाम पर जेल जाते हैं तो उनका कद बढ़ेगा ही। यदि बीजेपी अपने पर दिए उनके बयान को लेकर उनको किसी मुकदमे में घसीटती है तो वह भी फिर आकाश आनंद के पक्ष में ही जाएगा।
देखने की बात यह है कि यदि लोकसभा चुनाव मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाती तो शायद चुनाव परिणाम कुछ और ही होता। पर क्या हुआ बीजेपी के दबाव में उन्होंने अकेले लड़ने का फैसला लिया। क्या हासिल हुआ ? एक भी सांसद नहीं बना, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन कर लड़ने पर बसपा को 10 सीटें मिली थी।
इसमें दो राय नहीं कि मायावती किसी समय बहुत बोल्ड शासक रही हैं। बाहुबली डीपी यादव ने अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की बात बात क्या एक मंच से कर दी थी कि मायावती ने तुरंत उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। ऐसे ही राजा भैया पर पोटा लगाकर उन्होंने अपनी शासकीय ताकत का एहसास करा दिया था। अपने ही सांसद उमाकांत यादव को उनके ही घर से गिरफ्तार करा दिया था। पर आज की तारीख में वह बहुत से दबाव में हैं।