संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति रद्द करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम किसंस ने सौंपा ज्ञापन

0
5
Spread the love

29 दिन से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाने किसान संगठनों से बातचीत करें प्रधानमंत्री

किसान संघर्ष समिति ने किया राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति के ड्राफ्ट का दहन

आज किसान संघर्ष समिति द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय अपील पर किसंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम के नेतृत्व में राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति, डिजिटल कृषि मिशन और राष्ट्रीय सहयोग नीति वापस लेने, 29 दिन से अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाने किसान संगठनों से प्रधानमंत्री द्वारा बातचीत करने, दिल्ली कूच करने वाले किसानों पर दमन बंद करने, नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सभी किसानों को लुक्सर जेल से रिहा करने, सभी किसान संगठनों के साथ तत्काल चर्चा करने और 9 दिसंबर, 2021 के पत्र में सहमति के अनुसार सभी लंबित मुद्दों का समाधान करने सहित अन्य मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया।
कार्यक्रम के पहले पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए किसानों के उत्थान और हक के लिए उनके योगदान को याद किया गया।


इस अवसर पर बोलते हुए डॉ सुनीलम ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून को किसानों पर थोप कर जो जुल्म किया था। उसके चलते दिल्ली की बॉर्डर पर किसानों का 380 दिनों तक आंदोलन चला जिसमें 750 किसानों को शहादत देनी पड़ी लेकिन केंद्र सरकार ने सबक सिखने की बजाय अब राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति के माध्यम से किसानों की जमीन हड़पने तथा कृषि बाजार पर एकाधिकार बनाने के उद्देश्य से अडानी-अंबानी को लूट की खुली छूट देने का फिर से षड्यंत्र रचा है। जिसके खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रीय कृषि नीति के ड्राफ्ट को देश भर में जलाने का ऐलान किया है।
डॉ सुनीलम ने किसानों से अपील की कि वें केंद्र सरकार के इस षड्यंत्र को असफल करने के लिए फिर से एक बार कमर कसें।
इस दौरान किसान संघर्ष समिति द्वारा अनुविभागीय कार्यालय परिसर के बाहर राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति के ड्राफ्ट का दहन किया गया।
सौंपे गये ज्ञापन पत्र में कहा गया कि नई राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति, तीन कृषि कानूनों को पिछले दरवाजे से फिर से लागू करने की कॉर्पोरेट एजेंडे की रणनीति का हिस्सा है। पिछले तीन वर्षों में खाद्य सब्सिडी में 60,470 करोड़ रुपये और उर्वरक सब्सिडी में 62,445 करोड़ रुपये की कटौती देश की सीमित एमएसपी और खाद्य सुरक्षा की मौजूदा व्यवस्था पर कॉर्पोरेट हमले हैं। कॉर्पोरेट ताकतें भारत के मेहनतकश लोगों को चुनौती दे रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार केवल कॉर्पोरेट हितों की सेवा कर रही है। एनडीए 2 सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष के मद्देनजर 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हस्ताक्षरित समझौते का बेशर्मी से उल्लंघन किया है, जिसने तीन कृषि अधिनियमों को निरस्त करना सुनिश्चित किया था।
एसकेएम ने 18वीं लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए3 सरकार के सत्ता में आने के ठीक बाद 16, 17, 18 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं और सभी संसद सदस्यों को ज्ञापन सौंपा था। किसानों ने 9 अगस्त 2024 को पूरे देश में कृषि पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। एसकेएम ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कृषि श्रमिक संघों व मंचों के साथ मिलकर 500 से अधिक जिलों में बड़े पैमाने पर मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें लगभग दस लाख लोगों ने भाग लिया और 26 नवंबर 2024 को जिला कलेक्टरों के माध्यम से आपको एक ज्ञापन सौंपा गया था।
ज्ञापन कार्यक्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव, जिलाध्यक्ष जगदीश दोड़के, उपाध्यक्ष लक्ष्मण बोरबन, रग्घू कोड़ले, जिला सचिव कृष्णा ठाकरे, सपा जिलाध्यक्ष कृपाल सिंह सिसोदिया, सपा महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष गीता हारोड़े, तारा बाई पंवार , राजू , कौसु वाघमारे, भागवत परिहार, इंद्रपाल गोहिते (सरपंच, परमंडल) सीताराम नरवरे, तहसील उपाध्यक्ष गुलाब देशमुख, बिनोदी महाजन, शेषराव सूर्यवंशी, रामदयाल चौरे, हेमराज देशमुख चैनसिंह सिसोदिया, रामदास बारपेटे, छितर्या डडोरे, सुखदेव धाकड़, गुनवन सिंह सिसोदिया, चैनसिंह सिसोदिया, सुरेंद्र सिंह वशिष्ठे , सुखदेव मारवाड़ आदि शामिल हुए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here