चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह की जयंती हर साल की तरह इस साल भी सभी दलों ने किसान दिवस के रूप मनाई। सभी ने चौधरी साहब की किसानों के लिए किये गए प्रयास पर भी प्रकाश डाला पर आज के नेता चौधरी साहब की नीतियों को अपनाने को तैयार नहीं। चरण सिंह की सादगी, ईमानदारी, मेहनत, समर्पण और किसानों की समस्याओं के प्रति चिंता किसी दल का कोई नेता समझने तैयार नहीं। चौधरी चरण सिंह की जयंती पर किसी दल का कोई नेता बताएगा कि उन्होंने चरण सिंह की कौन सी खूबी अपनाई हुई है। खुद उनके पोते जयंत चौधरी धर्म की राजनीति करने वाली पार्टी के साथ हो गए हैं। किसानों की समस्याएं उनको भी नहीं दिखाई देती हैं।
खुद चरण सिंह के चेले भी किसानों की सुध लेने को तैयार नहीं। वैसे तो चौधरी चरण सिंह के बहुत कम शिष्य बचे हैं पर किसी ने चौधरी साहब के किसानों के प्रति लगाव को समझा नहीं। जितनी चिंता किसानों की चरण सिंह करते थे, उसकी एक चौथाई भी आज के नेता करने को तैयार नहीं। गत दिनों किसानों ने 13 महीने आंदोलन किया। इन दिनों भी एक साल से किसान आंदोलन चल रहा है। यदि विपक्ष किसानों के लिए संघर्ष कर रहा होता तो फिर किसानों को आंदोलन क्यों करना पड़ता ?
यदि चौधरी चरण सिंह के बाद में किसी नेता ने किसानों के लिए काम किया है तो फिर उसे किसान नेता के रूप में क्यों नहीं पेश किया जाता। मतलब बिल्कुल साफ है कि चरण सिंह के शिष्य जातियों में उलझ कर रह रहे। चरण सिंह के सबसे प्रिय शिष्य रहे मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव पीडीए की बात कर रहे हैं। चौधरी चरण सिंह तो अजगर की बात करते थे। अजगर की बात वह इसलिए करते थे क्योंकि अजगर मतलब अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत जातियां किसानी से जुड़ी थी।
चौधरी चरण सिंह पेशे की करते थे और आज के नेता जाति की। ऐसे ही लालू प्रसाद ने भी चरण सिंह के पाठशाला में राजनीति का ककहरा सीखा था। वह भी लम्बे समय तक एम वाई समीकरण पर लम्बे समय तक बिहार पर राज करते रहे। मतलब किसानों के वोट हर किसी को चाहिए पर किसानों के लिए काम करने को तैयार नहीं है। चौधरी चरण सिंह कहा करते थे कि देश की खुशहाली का रास्ता खेत और खलिहान से होकर जाता है। उनका यह भी कहना था कि जिस देश की जनता भ्रष्ट होगी वह देश कभी आगे नहीं जा सकता है।