नई दिल्ली| फसलों को हानिकारक मेटल्स से बचाने की प्रक्रिया ईजाद करने वाली जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) प्रोफेसर को देश की प्रतिष्ठित ‘राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत’ के फेलो के रूप में चुना गया है। जामिया की प्रोफेसर डॉ. मीतू गुप्ता का फसल के पौधों, चावल और भारतीय सरसों में आर्सेनिक स्ट्रेस को स्पष्ट करने में बड़ा योगदान है। खासतौर पर उनके शोध ने चावल की ऐसी किस्मों की पहचान की है जो आर्सेनिक स्ट्रेस के प्रति सहनशील हैं। डॉ. मीतू गुप्ता को उनके मौलिक योगदान के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत के फेलो के रूप में चुना गया है। उनका यह कार्य हैवी मेटल डेटोक्सीफिकेशन में शामिल सेलुलर और मोलिक्यूलर मैकेनिज्म विशेष रूप से फसल के पौधों, चावल और भारतीय सरसों में आर्सेनिक स्ट्रेस को स्पष्ट करने में मददगार है।
डॉ. मीतू गुप्ता जामिया विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
डॉ. गुप्ता के शोध में समान रासायनिक गुणों वाली अन्य मेटल्स के साथ आर्सेनिक की परस्पर क्रिया और समान ट्रांसपोर्ट सिस्टम को साझा करने के प्रभाव का पता चला है।
जामिया की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इस तरह की उपलब्धि विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षकों को भी उच्च गुणवत्ता वाले शोध करने के लिए प्रेरित करती है। जामिया विश्वविद्यालय अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और अपने शोधकर्ताओं को इसकी स्वतंत्रता भी देता है। यह उन्हें अपने शोध को प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है जो विभिन्न विभागों से अच्छी शोध परियोजनाएं प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होता है।
डॉ. गुप्ता ने यह समझने में भी योगदान दिया है कि कैसे ऑक्सिन और नाइट्रोजन सिग्नलिंग पैथवे आर्सेनिक स्ट्रेस के तहत रूट सिस्टम को नियंत्रित करता है। डॉ. गुप्ता के शोध समूह ने जीन पहचान की है, जिन्हें आर्सेनिक सहनशील पौधों को विकसित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
वर्तमान में उनका कार्य कंबाइंड स्ट्रेस स्थितियों के दौरान टॉलरेंस मैकेनिज्म में शामिल बायोलॉजिकल पैथवेज और सिग्नेचर मेटाबोलाइट्स के विनियमन को समझने पर केंद्रित है।