चरण सिंह
महाराष्ट्र में सरकार बनाने में फंसे झोल को निकालने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी पर्यवेक्षक बनकर महाराष्ट्र जा रहे हैं। तो क्या इन्हें शिंदे को समझाने के लिए भेजा जा रहा है ? बीजेपी का जो राजनीति करने का तरीका है उसके आधार पर कहा जा सकता है कि निर्मला सीतारमन और विजय रूपानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और आरएसएस की ओर से सुझाये गये मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने आ रहे हैं, जो बीजेपी से ही होगा।
दरअसल इन परिस्थिति में एकनाथ शिंदे के बीमार होने को सामान्य नहीं माना जा सकता है। जब बीजेपी ने 5 दिसम्बर को मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण समारोह रख लिया है तो मुख्यमंत्री नाम की घोषणा उससे पहले ही ही होनी है। एनडीए विधायक दल की बैठक भी उससे पहले होगी। बीजेपी ५ तारीख को बिना दूल्हे के बारात तो नहीं चढ़ने देगी। शिवसेना के 57 विधायकों के बिना भी एनडीए की सरकार बन रही है तो फिर शिंदे बीजेपी पर दबाव क्यों बना रहे हैं ? दरअसल शिंदे के पास 57 विधायकों के साथ 7 सांसद भी हैं। ऐसे में बीजेपी शिंदे को नाराज नहीं करना चाहती है।
तो क्या शिंदे यह सब गृह मंत्रालय के लिए कर हे हैं। क्योंकि वह खुद जानते हैं कि मुख्यमंत्री तो वह नहीं बनने जा रहे हैं। दरअसल शिंदे बीमारी के नाम पर बैलेंस गेम खेल रहे हैं। बीजेपी पर दबाव बनाकर अधिक से अधिक पावर ले लेना चाहते हैं, क्योंकि शिंदे के ५७ विधायक और सात सांसद हैं। ऐसे में बीजेपी उन्हें नाराज भी नहीं करना चाहती है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब केंद्र में बीजेपी ने टीडीपी को गृह मंत्रालय नहीं दिया था तो एकनाथ शिंदे का कैसे दे देगी ? वैसे भी महाराष्ट्र में पुलिस प्रशासन का सभी काम गृह मंत्रालय देखता है। ऐसे में बीजेपी गृहमंत्रालय अपने पास रखना चाहेगी।
मुंबई के आर्थिक राजधानी होने के चलते बीजेपी न तो वित्त मंत्रालय किसी को देने जा रही है और न ही गृह मंत्रालय। मुख्यमंत्री तो उसका रहेगा ही। एनडीए का संयोजक भी नहीं बनाने जा रही है। हालांकि शिंदे ने अमित शाह के साथ मीटिंग में यह बात रखी थी कि जब डिप्टी सीएम रहते हुए गृहमंत्रालय देवेन्द्र फडनवीस के पास था तो उनको गृह मंत्रालय मिलना चाहिए। पर यह बात शिंदे भी जानते हैं कि उस परिस्थिति और आज की परिस्थिति में धरती आसमान का अंतर है। तब बीजेपी ने शिवसेना तोड़ी थी तो एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया था। अब बीजेपी की 132 सीटें हैं और एकनाथ शिंदे की 57। बिना एकनाथ शिंदे के भी अजित पवार के समर्थन से भी बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में है तो एकनाथ शिंदे एक हद तक ही बीजेपी पर दबाव बनाएंगे।