मध्याह्न भोजन योजना में नया बदलाव, जिम्मेदारी से मुक्त होंगे स्कूलों के शिक्षक

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 दो दिसंबर से इन जिलों से शुरू होगा प्रोजेक्ट

 पटना। बिहार सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना में बदलाव की शुरुआत की है। इस नए प्रयोग के तहत, राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाएगा। यह कदम तमिलनाडू के सफल मॉडल पर आधारित है, जहां इस तरह की व्यवस्था पहले से ही लागू है। बिहार के 10 जिलों मुजफ्फरपुर, मधुबनी, दरभंगा, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, भागलपुर, लखीसराय और औरंगाबाद में कुल 20 पंचायतों को इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है।
इन स्कूलों में बीआरपी और शिक्षा सेवकों को व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापक के रूप में नियुक्त किया गया है। वे बच्चों की संख्या का डेटा भी संग्रहित करेंगे।पायलट प्रोजेक्ट के तहत चयनित पंचायतों में नई व्यवस्था 2 दिसंबर से लागू की जाएगी।शिक्षकों को मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी से मुक्त करने का मुख्य उद्देश्य उन्हें शिक्षण कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करना है।इस बदलाव से मध्याह्न भोजन योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को कम करने की उम्मीद है।तमिलनाडू में इस तरह की व्यवस्था को काफी सफल माना जाता है।
मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी और सकरा प्रखंड के कुछ गांवों में इस पायलट प्रोजेक्ट को लागू किया जा रहा है। कुल 10 स्कूल: कुल 10 स्कूलों में इस नई व्यवस्था का परीक्षण किया जाएगा।इन स्कूलों में मध्याह्न भोजन का संचालन व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापक करेंगे।बिहार सरकार द्वारा मध्याह्न भोजन योजना में बदलाव शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों को अधिक प्रभावी ढंग से बच्चों को पढ़ाने में मदद करेगा बल्कि मध्याह्न भोजन योजना को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने में भी मदद करने की उम्मीद है।ग्रामीण क्षेत्रों और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रधानाध्यापकों को लचीलापन दिया गया है कि वे अपने स्कूल के बच्चों को मध्याह्न भोजन देने के लिए आवश्यकतानुसार समय का निर्धारण कर सकते हैं।
बिहार शिक्षा विभाग के अंतर्गत मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय के निदेशक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को एक पत्र जारी किया है।पत्र में यह भी निर्देश दिया गया है कि रसोइया-सह-सहायक की सहायता से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण मध्याह्न भोजन सुनिश्चित किया जाए। बच्चों की संख्या अधिक होने पर वर्गवार अलग-अलग समय सारणी बनाकर उन्हें भोजन उपलब्ध कराना होगा। यह कदम बच्चों की भीड़ को नियंत्रित करने और उन्हें व्यवस्थित रूप से भोजन देने के उद्देश्य से उठाया गया है। निदेशक ने यह भी कहा कि स्कूल परिसर, कक्षाएँ, रसोईघर और शौचालय जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं की साफ-सफाई का नियमित निरीक्षण करना प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी होगी। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। ताकि छात्रों को एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में शिक्षा और भोजन की सुविधा मिल सके।स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार प्रधानाध्यापक मध्याह्न भोजन की समय सारणी में आवश्यकतानुसार बदलाव कर सकते हैं। इस निर्देश को सभी प्रधानाध्यापकों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की होगी। ताकि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जा सके।
पंचायतों में स्थित स्कूलों में बीआरपी और शिक्षा सेवकों को मध्याह्न भोजन योजना का व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापक बनाया गया है।यह नई योजना तमिलनाडू राज्य के सफल मॉडल पर आधारित है। तमिलनाडू में इस योजना को लागू करने के बाद शिक्षकों को काफी राहत मिली है और वे बच्चों की पढ़ाई पर अधिक ध्यान दे पा रहे हैं।

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