मुस्लिम नेताओं ने खोला मोर्चा, वक्फ बिल पर नैया डूबेगी या पार लगेगी!

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 नीतीश कुमार का सेक्युलरिज्म खतरे में?

दीपक कुमार तिवारी

पटना। सेक्युलरिज्म को लेकर राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग लेंथ-लाइन रखने के कारण एक अलग पहचान बनाई थी। लेकिन राजनीतिक हालात इस कदर बदले कि नीतीश कुमार ही नहीं चंद्रबाबू नायडू के सेक्युलरिज्म को मुस्लिम नेताओं से ही चुनौती मिलने लगी है। बात यहां तक आ पहुंची है कि वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के पक्ष में अगर वो हैं तो सत्ता समीकरण की चाबी उनके हाथ हैं। एक तरह से मुस्लिम नेता इन दोनों नेताओं पर भाजपा नीत एनडीए की सरकार से अपरोक्ष रूप से ही पर समर्थन वापसी का दबाव बनाने लग गए।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। इनका मानना है कि केंद्र सरकार हिंदू-मुस्लिम में बांट कर देश तबाह करना चाहते हैं। वक्फ संशोधन विधेयक के जरिए सरकार की कोशिश वक्फ संपत्ति पर कब्जा करने और देश के लोगों को धर्म के आधार पर बांटने की है। देश हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की एकता के बल पर चलेगा न कि नफरत और बंटवारे की राजनीति से चलेगा।
तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) और जदयू को एनडीए सरकार की बैसाखी बताते हुए मदनी ने कहा कि विधेयक पास हुआ तो खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वाले ये दल इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगे।
अपने इस बयान से मुस्लिम नेता तेलगु दशम पार्टी और जनता दल यू पर दबाव बना रही है ताकि वो वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के विरुद्ध खड़े हो और किसी तरह सरकार संसद में विधेयक पारित नहीं करा पाए।
एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते कहा कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ भी हैं और यह भी कहते हैं कि मुसलमानों के वे हितैषी भी हैं। दोहरा चरित्र नहीं चलेगा। अगर चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार चाहें, जो पिछले दिनों में कहते रहे हैं कि हम चाहते हैं कि इस मुल्क में जम्हूरियत रहे, बाबा साहेब का संविधान रहे, गांधी जी के सपनों का भारत बने, तो यकीनन इससे (वक्फ बोर्ड बिल) मुसलमानों को बड़ा नुकसान पहुंचने वाला है। वक्फ बिल में इस मुल्क में मुसलमानों की गर्दनें काटी गईं। 90 फीसद मुसलमानों का नुकसान हुआ है।मस्जिदें मुसलमानों की छीनी जा रही हैं। अब तो मुसलमानों को फैसला करना पड़ेगा या मुंह पर पट्टी बांध लेनी पड़ेगी या गर्दन झुका देनी पड़ेगी।
यह संभवतः पहला मौका है जब खुल कर नीतीश कुमार के सेक्युलरिज्म को मुस्लिम नेताओं से चुनौती मिलने लगी है। अब यह आश्चर्य नहीं कि मुस्लिम नेता नीतीश कुमार से ही उनके सेक्युलरिज्म का सर्टिफिकेट मांग रहे हैं। वह भी इन शब्दों के साथ कि भाजपा के साथ भी रहेंगे और सेकुलर भी बने रहेंगे, अब यह नहीं चलेगा। अब तो मुस्लिम नेता नीतीश कुमार के सेक्युलरिज्म को इस निर्णय के साथ जोड़ रहे हैं कि वो वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के विरुद्ध खड़े हो ताकि यह बिल सदन से पास ही न हो। मुस्लिम नेताओं के इस बुलंद आवाज ने नीतीश कुमार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। ऐसे में नीतीश कुमार की स्थिति सांप छछूंदर वाली हो गई है।

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