नियम विरुद्ध कार्य नहीं करें निजी चिकित्सक : डॉ. ललित

• पीसीपीएनडीटी एक्ट क्रियांवयन पर आयोजित हुई कार्यशाला
• निजी चिकित्सकों व अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालकों से की अपील
• प्रसव पूर्व लिंग जांच की सही जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दें

नोएडा  अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ललित कुमार ने जनपद के सभी अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालकों एवं चिकित्सकों से अपील की है कि वह कोई भी ऐसा कार्य न करें जो पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन पर रोक) अधिनियम, 1994 (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के विरुद्ध हो। डॉ. ललित बृहस्पतिवार को यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिसरख पर पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के प्रभावी क्रियान्वयन पर जागरूकता एवं प्रचार प्रसार के लिए आयोजित कार्यशाला में निजी चिकित्सकों और अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालकों को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर डा. ललित कुमार ने जनसामान्य से भी अपील की कि यदि गर्भ भ्रूण लिंग जांच के विषय में उन्हें कोई जानकारी मिलती है तो इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को तत्काल दें, ताकि दोषियोंके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जा सके। उन्होंने पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. सचिन्द्र कुमार मिश्रा ने जनपद में सुधर रहे लिंगानुपात पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत प्रसव पूर्व लिंग जांच करना नियम विरुद्ध तो है, साथ ही प्रकृति के विरुद्ध भी है। ऐसा करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इस लिए कोई भी अल्ट्रासाउंड संचालक इस तरह का कृत्य न करे।
कार्यक्रम में पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम की जिला कार्यक्रम समन्वयक मृदुला सरोज ने पीसीपीएनडीटी एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया अब अल्ट्रासाउंड केन्द्रों का रजिस्ट्रेशन आन लाइन होने से प्रक्रिया आसान हो गयी है। उन्होंने प्यारी बिटिया पोर्टल के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम में डाटा एंट्री आपरेटर संध्या यादव, अंजू जैन, क्षेत्र के ग्राम प्रधान, आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, निजी चिकित्सक डा. बीएम शर्मा, डा. नीरा मित्तल, डा. श्रेया सेठ, डा. एस.के भार्गव, अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालक हुकुम सिंह सहित कई अल्ट्रा संचालकों ने भाग लिया। इस अवसर पर बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, लिंगानुपात में सुधार को लेकर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।
क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट
पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले चिकित्सक, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

Related Posts

Special on World No Tobacco Day : युवाओं को नशे की लत से बचाकर मुख्यधारा से जोड़ना जरूरी

सार्वजनिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही तम्बाकू को…

Continue reading
साइलेंट हार्ट अटैक को न्यौता दे रहा कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट, करते रहें व्यायाम!

नई दिल्ली/इंदौर। हाल के एक शोध में यह…

Continue reading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने तीन कर्मचारियों को किया बर्खास्त!

  • By TN15
  • June 3, 2025
उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने तीन कर्मचारियों को किया बर्खास्त!

अग्निवीरों पर मेहरबान योगी सरकार, पीएसी में मिलेगा 20 प्रतिशत आरक्षण! 

  • By TN15
  • June 3, 2025
अग्निवीरों पर मेहरबान योगी सरकार, पीएसी में मिलेगा 20 प्रतिशत आरक्षण! 

चाची बन गई कातिल, भतीजे की हत्या कर चुनवा दिया दीवार में!

  • By TN15
  • June 3, 2025
चाची बन गई कातिल, भतीजे की हत्या कर चुनवा दिया दीवार में!

जब माउंटबेटन ने की थी भारत – पाकिस्तान बंटवारे की घोषणा!

  • By TN15
  • June 3, 2025
जब माउंटबेटन ने की थी भारत – पाकिस्तान बंटवारे की घोषणा!

सीएसएमआईए पर विदेशी नागरिक से 51.1 किलोग्राम की कोकीन बरामद!

  • By TN15
  • June 3, 2025
सीएसएमआईए पर विदेशी नागरिक से 51.1 किलोग्राम की कोकीन बरामद!

शिक्षक संघ ने समाहरणालय गेट पर दिया धरना, सौपा ज्ञापन

  • By TN15
  • June 3, 2025
शिक्षक संघ ने समाहरणालय गेट पर दिया धरना, सौपा ज्ञापन