बगहा शालिग्राम मंदिर में तुलसी विवाह धूमधाम से सम्पन्न

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 51 हजार दीपों से जगमगाया मंदिर, शालिग्राम के चमत्कार से चकित रह गए लोग

 बगहा। पश्चिम चंपारण जिले के बगहा स्थित ऐतिहासिक शालिग्राम मंदिर में तुलसी विवाह का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। मुख्य पक्की बावली स्थित शालिग्राम मंदिर में दिन में एक बजे, भगवान शालिग्राम को दूल्हे की तरह सजाकर डोली में बिठाया गया।
पश्चिम चंपारण के बगहा स्थित ऐतिहासिक शालिग्राम मंदिर में तुलसी विवाह धूमधाम से मनाया गया। मुख्य पक्की बावली स्थित शालिग्राम मंदिर और बाबा विश्वंभर नाथ धाम को मंदिर कमेटी ने फूलों की मालाओं और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया था। दिन में एक बजे, भगवान शालिग्राम को दूल्हे की शानदार पोशाक में सजाकर डोली में बिठाया गया और बारात निकाली गई। हजारों श्रद्धालु बारात में शामिल हुए। बाजे-गाजे और मधुर संगीत ने वातावरण को और भी आनंदमय बना दिया। बारात ने पूरे नगर परिषद का भ्रमण किया और शाम को वापस मंदिर पहुंची। कन्या पक्ष (तुलसी जी) ने पारंपरिक तरीके से बारात का स्वागत किया और द्वार पूजा का विधि-विधान से आयोजन किया गया।
पक्की बावली मंदिर में 51 हजार दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया गया। मंदिर कमेटी के सदस्यों ने बताया कि नेपाल महाराज ने इस मंदिर में मटर के दाने के बराबर एक शालिग्राम भगवान प्रदान किया था, जो आज पांच दर्जन से अधिक हो गए हैं। हर जन्माष्टमी को यहां एक नए शालिग्राम का जन्म होता है।
रात में वैदिक मंत्रोंच्चार और लोकगीतों के बीच शादी का रस्म संपन्न हुआ। द्वार पूजा, कन्या निरीक्षण आदि विधि-विधान से संपन्न किए गए।
18वीं सदी के उत्तरार्ध में बनकटवा निवासी स्व. रामजीवन भगत ने यह पक्की बावली मंदिर बनवाया था। इसमें बाबा विश्वंभर नाथ मंदिर, टिमला मंदिर और शालिग्राम महादेव मंदिर शामिल हैं। रामजीवन भगत को नेपाल महाराज ने मटर के दाने के बराबर शालिग्राम भगवान तोहफे में दिया था, जो आज विशाल रूप में विराजमान हैं।
प्रत्येक जन्माष्टमी को शालिग्राम महादेव को स्नान के लिए आसन से उतारने पर एक नया शालिग्राम मिलता है। पुजारी हरिहर दुबे ने बताया कि मंदिर में करीब पांच दर्जन छोटे-छोटे शालिग्राम मौजूद हैं। सावन माह में इस स्थान की महत्ता और बढ़ जाती है।

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