बंगाल का सिंदूर खेला और कंधे पर माता की विदाई

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 नालंदा में दिखा परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम

 नालन्दा। बिहार के नालंदा जिले में आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम दिखा। एक तरफ माता दुर्गा की हर्षोल्लास के साथ विदाई की गई। वहीं दूसरी तरफ महिलाओं ने सिंदूर खेला किया। महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया और माता रानी से अगले वर्ष आने की मन्नत मांगी। इस दौरान महिलाओं और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। सिंदूर खेला जिले के लिए अभी नया है। धीरे-धीरे भारी संख्या में महिलाएं इसमें शामिल हो रही हैं।
बिहारशरीफ के अलीनगर मोहल्ले में वर्षों से चली आ रही परंपरा के साक्षी हजारों लोग बने। हजारों लोगों ने नम आंखों से माता को विदाई दी। मोहल्ले के युवक माता रानी को अपने कंधे पर उठाकर करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर विसर्जन स्थल तक के लिए ले जाते हैं। यह परंपरा इस इलाके में कई सालों से चली आ रही है। जिसका निर्वहन आज भी युवक कर रहे हैं। मोहल्ले वासियों का मानना है कि इस परंपरा को निभाने के कारण मोहल्ले को अमन चैन बरकरार रहता है।
इसी तरह बिहार शरीफ के अन्य जगहों पर भी प्रतिमा विसर्जन जुलूस में देखने को मिला जहां महिलाएं नाचते गाते माता रानी को विदाई दी। बिहारशरीफ समेत जिले के अन्य इलाकों में यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा। जिले में सिंदूर खेला चर्चा का विषय बना रहा। सिंदूर खेला बंगाल में परंपरागत तरीके से निभाया जाता है। वहां महिलाएं एक दूसरे को भारी मात्रा में सिंदूर लगाती हैं। महिलाओं के लिए एक तरह से ये सिंदूर होली की तरह हो जाता है।

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