पूजा के नाम पर हम चीजों को क्लिष्ट तो बना ही रहे हैं भ्रम भी फैला रहे हैं|
बी कृष्णा
हज़ारों वर्ष पूर्व भी एक ऐसा समय आया था जब पूजा के नाम पर लोगों को काफी भ्रमित किया गया| पूजा में प्रयोग किए जाने वाले दूर्वा घास का tip किस तरफ हो – दाईं या बायीं ओर इस पर भी दिशा निर्देश जारी किया जाता था| लोगों में जागृति आयी| उन्होनें इस पर चिंतन मनन किया और इस तरह की चीजों से अपने आप को दूर किया|
आज फिर से हम उसी तरह के काल में हैं|
हम कहाँ अटक गए?
अष्टमी तिथि की शुरुआत – 10 अक्टूबर 12:32:08 PM बजे से|
अष्टमी तिथि समापन – 11 अक्टूबर 12:07:51 PM बजे,
नवमी तिथि की शुरुआत – 11 अक्टूबर 12:07:52 PM से,
नवमी तिथि समापन – 12 अक्टूबर 10: 59:08 AM बजे |
अष्टमी का व्रत तो अष्टमी में ही होना चाहिए न की नवमी में|
उसी प्रकार नवमी का पूजन भी नवमी को ही होना चाहिए न की दशमी को|12 अक्टूबर को 10: 59:08 AM बजे तक नवमी का होम हो जाना चाहिए|
11 अक्टूबर को अष्टमी एवं नवमी की संधि में मंत्र दीक्षा लिया जाना चाहिए|
तिथियों की overlapping हो रही है|
ऐसा नहीं है कि यह overlapping सिर्फ इन्ही तिथियों की हो रही है और अभी ही हो रहा है| इनके पहले की तिथियों में यह होता रहा है|
तिथि का निर्धारित समय देखिये और अपनी सुविधा के अनुसार पूजन, हवन कीजिये|
मन में ये भाव कतई नहीं लाइए कि अरे इस तरह से पूजा कर लिया तो गलती हो गयी|
सहज भाव से सरलता पूर्वक पूजा कीजिए |
दुर्गति नाशिनी दुर्मति हारिणी दुर्ग निवारण दुर्गा माँ
भवभय हारिणी भवजल तारिणी सिंह विराजिनी दुर्गा माँ
पाप ताप हर बंध छुड़ाकर जीवो की उद्धारिणी माँ
जय जग जननी आदि भवानी जय महिषासुर मारिणी माँ।
@ (ज्योतिषी, योग और आध्यात्मिक चिंतक )