बिहार की पीड़ा और निदान पर संगोष्ठी: विकास का गांधी मॉडल नहीं अपनाना रही भारी भूल

0
26
Spread the love

मुजफ्फरपुर। बिहार से बिहारी ही रूठ गए हैं! कोई रोटी की तलाश में बिहार को छोड़ गया, तो कोई अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए। यह दुखद स्थिति राम दयालु सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर में आयोजित संगोष्ठी “बिहार की पीड़ा और निदान” में उजागर हुई, जिसे बिहार प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी जानकी शरण सिन्हा की स्मृति में आयोजित किया गया था।

संगोष्ठी में टीएम भागलपुर विश्वविद्यालय गांधी विचार विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “बिहार के गाँवों में आज उदासी छाई हुई है। गाँवों में पंचायती राज व्यवस्था केवल नाम की है और संसाधनों के बावजूद चीनी मिलें बंद पड़ी हैं।”

डॉ. विकास नारायण उपाध्याय ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि झारखंड के अलग होने के बाद बिहार की स्थिति और खराब हो गई है। प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक लछन देव प्रसाद सिंह ने कहा कि गांधीजी ने लोकशाही को मजबूत करने की बात कही थी, लेकिन बिहार में ऐसा नहीं हो सका।

पूर्व वरिष्ठ प्रशासनिक पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में किसानों को और अधिक सुविधाएं देने की बात कही, ताकि बिहार विकास की ओर अग्रसर हो सके।

कार्यक्रम का आयोजन Democratic Alliance of Teachers और Sai एजुकेशनल फाउंडेशन, मुजफ्फरपुर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अरुण कुमार सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. अनीता सिंह ने दिया।

इस मौके पर जिले के पूर्व मंत्री श्री रामेश्वर ठाकुर को समाज सेवा में उनके योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here