यूपी एनकाउंटरों पर विवाद क्यों ?

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चरण सिंह 
उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोग कहते हैं कि इस व्यवस्था में अपराधियों को कुछ बिगड़ नहीं पाता तो ऐसे में योगी आदित्यनाथ सही करते हैं कि अपराधियों को निपटा देते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि एनकाउण्टर से अपराधियों में डर बना हुआ है, जिसके चलते अपराध पर अंकुश लग रहा है। कुछ लोग इन एनकाउंटर को फर्जी एनकाउंटर करार दे रहे हैं।
 यूपी एनकाउंटरों को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर विपक्ष के साथ पूर्व डीजीपी और आईपीएस अधिकारी भी सवाल खड़े कर रहे हैं। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के बाद आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी यूपी एनकाउंटर पर सवाल खड़े किये हैं। बुधवार को आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वीडियो जारी करते हुए कहा कि निश्चित रूप से पिछले साढ़े सात वर्षों में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस के माध्यम से फर्जी मुठभेड़ कराए जाने की गंभीर शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही हैं। इनमें तमाम एनकाउंटर के संदर्भ में उन्होंने स्वयं गंभीर सवाल उठाए हैं।

अमिताभ ठाकुर ने बाकायदा यूपी पुलिस से अनुरोध किया कि वे सिर्फ नियम संगत और नियमानुसार कार्यवाही करें। फर्जी एनकाउंटर के बहकावे में न आएं। उनका कहना है कि  कालांतर में सिर्फ जनरल डायरी में अंकित लोगों का ही उत्तरदायित्व नियत होता है और अंतिम ठीकरा मात्र उन पर ही फूटता है। पूर्व आईपीएस ने सुलखान सिंह ने यूपी पुलिस के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों द्वारा फर्जी मुठभेड़ के लिए बाध्य करने को रोकने के प्रयास की हृदय से प्रशंसा की है।

दरअसल उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की कानून व्यवस्था को लेकर बीजेपी पूरे देश में ढोल पीटती है। बीजेपी और उनके समर्थकों का यह कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था के मामले में बहुत टाइट हैं। विपक्ष योगी आदित्यनाथ पर मुसलमानों और यादवों को टारगेट करने के आरोप लगाता है। पूर्व सांसद अतीक अहमद उसका भाई अफजल अहमद की हत्या और मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर भी विपक्ष ने तमाम सवाल खड़े किये थे।

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