जैसे साधन होंगे, वैसा ही साध्य होगा

नीरज कुमार

प्रसिद्ध इतालवी विचारक निकोलो मेकियावेली (1469-1527) ने राजनीति और नैतिकता के बीच दिवार खड़ी करते हुए यह तर्क दिया था कि यदि साध्य उचित हो तो साधन को अपने-आप उचित मान लिया जाएगा | इसके विपरीत, गाँधी जी ने राजनीति और नैतिकता के बीच पुल का निर्माण करते हुए यह तर्क दिया कि राजनीति के क्षेत्र में साधन और साध्य दोनों समान रूप से पवित्र होने चाहिए | मेकियावेली और उसके अनुयायियों के विपरीत गांधी जी साधन को साध्य से पहले रखते हैं – जैसे साधन होंगे, वैसा ही साध्य होगा | साध्य की प्रकृति साधन की प्रकृति से निर्धारित होती है | साधन की तुलना बीज से कर सकते हैं; साध्य की वृक्ष से | जैसा बीज डालेंगे, वैसा ही वृक्ष उगेगा | बबूल का पेड़ बोकर आम का फल नहीं उगाया जा सकता | साध्य और साधन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जिन्हें एक दुसरे से पृथक करना संभव नहीं है | यदि साधन अनैतिक होंगे तो साध्य चाहे कितना ही नैतिक क्यों न हो, वह अवश्य ही भ्रष्ट हो जाएगा क्योंकि गलत रास्ता कभी सही मंजिल तक नहीं ले जा सकता | जो सत्ता भय (Fear) और बल-प्रयोग की नींव पर खड़ी की जाती है, उससे लोगों के मन में स्नेह और आदर की भावना पैदा नहीं की जा सकती | स्वराज-प्राप्ति के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग दिखाया, क्योंकि सत्याग्रह ऐसा साधन था जो साध्य के समान ही पवित्र था | यदि हिंसा, छल-कपट और असत्य के मार्ग पर चलकर स्वराज भी मिल जाता तो वे उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं थे | यही कारण था कि 1922 में जब क्रुद्ध भीड़ ने (उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में) ‘चौरी चौरा’ थाने को आग लगा दी, तब गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया हालांकि इस आन्दोलन की सफलता दिखाई देने लगे थे | उन्होंने अनुभव किया कि जनता अभी तक अहिंसा के मार्ग पर चलना नहीं सीख पाई थी |

गांधीजी के चश्मे का हम हर तरह का उपयोग करते हैं, बस उन्हें अपनी आँख के आगे लगा के उनमें से देखते भर नहीं हैं। इस चश्में में सत्य और अहिंसा का काँच लगा है जो हमें वह सब दिखला सकता है जिसे देखने से हम डरते हैं। वह दिखा सकता है कि हमारा अर्थतन्त्र दूसरों को गरीब बना के, पर्यावरण को दूषित कर के ही चलता है। वह दिखा सकता है कि हमारा स्वास्थ्य और शिक्षा तंत्र मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार से बीमार है।
वह दिखा सकता है कि जिस आर्थिक वृद्धि को हमने विकास मान लिया है, वह हमारे भविष्य को औने–पौने दाम पर नीलाम कर के ही प्राप्त होती है। यह भी कि हमारी राजनीति समाज में कुछ अच्छा करने का साधन नहीं बची है, सत्ता और महत्वाकांक्षा की साधना बन के रह गयी है। हमारे किसान–कारीगर हताश हैं, उनका रोजगार जा रहा है। हमारी आबादी के एक छोटे–से कुलीन हिस्से के विकास के लिए बाकी सब की बलि चढ़ रही है। हम विकास के नाम पर, धर्म के नाम पर, गोरक्षा के नाम पर, जाति के नाम पर, लिंग के नाम पर, भाषा के नाम पर, राष्ट्र के नाम पर…हिंसा ही कर रहे हैं।
नीरज कुमार

  • Related Posts

    मुख्यमंत्री ने मंजू कुमारी सिन्हा की पुण्यतिथि पर दी भावभीनी श्रद्धांजलि

    पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी धर्मपत्नी…

    Continue reading
    डॉ. सुनीलम ने वरिष्ठ पत्रकार और ट्रेड यूनियनिस्ट डॉ के विक्रम राव के निधन पर शोक व्यक्त किया

    किसान नेता ने कहा – डॉ. राव बेबाकी से…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    बुरी तरह फंस गए विजय शाह, जेल जाना तय!

    • By TN15
    • May 15, 2025
    बुरी तरह फंस गए विजय शाह, जेल जाना तय!

    नोएडा में आयोजित डान्स टू स्पार्कल – समर डांस फेस्टिवल 2025 का आयोजन

    • By TN15
    • May 15, 2025
    नोएडा में आयोजित डान्स टू स्पार्कल – समर डांस फेस्टिवल 2025 का आयोजन

    सोशल मीडिया पर अवैध हथियार के साथ फोटो लगाने वाले को पुलिस ने दबोचा

    • By TN15
    • May 15, 2025
    सोशल मीडिया पर अवैध हथियार के साथ फोटो लगाने वाले को पुलिस ने दबोचा

    नगर निगम ने फूगसढ़ गांव में साढे 3 एकड़ भूमि को करवाया कब्जा मुक्त : डॉ. वैशाली शर्मा

    • By TN15
    • May 15, 2025

    निगमायुक्त डॉ. वैशाली शर्मा ने विभिन्न वार्डों का किया दौरा

    • By TN15
    • May 15, 2025
    निगमायुक्त डॉ. वैशाली शर्मा ने विभिन्न वार्डों का किया दौरा

    गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के जन्मदिन पर लगाया रक्तदान शिविर

    • By TN15
    • May 15, 2025
    गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के जन्मदिन पर लगाया रक्तदान शिविर