चंपारण : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में तेंदुए की संदिग्ध मौत से मचा हड़कंप

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 जांच में जुटे वन पदाधिकारी

 मोतिहारी। बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में एक तेंदुआ मृत पाया गया है। यह घटना दो दिन पहले हुई और मौत के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। वन विभाग के अधिकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट और आगे की जांच के बाद ही मौत का सही कारण बता पाएंगे। विटीआर के बॉर्डर पर हुई इस घटना से वन विभाग में हड़कंप मच गया है। विटीआर के सीएफ (सीएफ) डॉ. नेशामणी ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव के अंगों को जांच के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद ही मौत का कारण स्पष्ट हो पाएगा।
सोमवार देर शाम को वन कर्मियों को गश्त के दौरान मदनपुर वन क्षेत्र के पास एक खेत में तेंदुए का शव मिला था। सूचना मिलते ही वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। मंगलवार को वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया जाएगा। इसके बाद, जांच और परीक्षण के लिए तेंदुए के शरीर के अंगों को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूडब्ल्यूआई), देहरादून भेजा जाएगा। नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 100 से ज्यादा तेंदुआ और लगभग 60 बाघ रहते हैं। अपने क्षेत्र को लेकर इनके बीच अक्सर संघर्ष होता रहता है।
हाल ही में, गौनाहा इलाके में एक बाघ की मौत आपसी संघर्ष में हो गई थी। पिछले साल वाल्मीकिनगर रेंज में भी बाघ और तेंदुए के बीच लड़ाई में एक तेंदुए की मौत हो गई थी। 12 साल की उम्र सीमा वाले इस तेंदुए का शव विटीआर के मदनपुर वन क्षेत्र के कक्ष संख्या 8 में रेंज ऑफिस के पीछे घने जंगल में मिला है। फिलहाल इस इलाके में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। इस घटना से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या तेंदुए की मौत उसकी उम्र पूरी होने के कारण हुई या फिर वह बीमार था? क्या उसकी मौत बाघ से संघर्ष में हुई? इन सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिल पाए हैं। तेंदुआ दो दिन पहले ही मर चुका था, इससे वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस घटना से वन्यजीव संरक्षण के प्रति वन विभाग की सक्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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