17 जुलाई को मोटरसाइकिल से लखनऊ के लिए निकले करण की इस मार्ग पर हो गई है मौत, करण के कंधों वृद्ध और बीमार पिता, माता, पत्नी के साथ ही पांच साल की छोटी बेटी की भी जिम्मेदारी
गोंडा। जनता की टैक्स से बना राष्ट्रीय राजमार्ग 927 दुर्घटनाओं के चलते आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन गया हैं l ग्राम दुबेपुरवा, आटा परसपुर, गोंडा के निवासी तीस वर्षीय नवयुवक करन कुमार मिश्रा पुत्र श्री दिनेश मिश्रा ऐसी ही एक भयानक दुर्घटना का शिकार हो गया, वह काम के सिलसिले से अपने घर दुबेपुरवा से लखनऊ के लिए निकला था लेकिन करन देवीपाटन मंडल की सबसे जोखिमपूर्ण सड़क को ऐसी भेंट चढ़ा कि न तो लखनऊ पहुंचा और न ही जीवित घर पहुंच सका।
अपने परिवार का इकलौता जीविकोपार्जक करन मिश्रा, जिसके कंधों पर अपने वृद्ध और बीमार पिता, माता, पत्नी और एक अबोध पांच साल की छोटी बेटी (परी) की ज़िम्मेदारी थी, गत 17 जुलाई को अपने घर से मोटर साइकिल पर लखनऊ काम के सिलसिले में निकला लेकिन रास्ते में मसौली से पहले विपरीत दिशा से आ रही तेज रफ्तार ईको वैन के ड्राइवर ने लापरवाही से करन मिश्रा को टक्कर मारी और करन को अधमरी हालत में एवम अपनी क्षतिग्रस्त गाड़ी को दुर्घटना स्थल पर छोड़ बिना पुलिस व एंबुलेंस को सूचित किए भाग गया।
रात को करीबन 10 बजे करन के पिता को बाराबंकी पुलिस ने फोन कर सूचना दी कि आपका पुत्र करन निश्रा सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया है जिसे हम ज़िला अस्पताल, बाराबंकी लेकर जा रहे हैं। यह सुन परिवार के लोग भयभीत हो गए और आनन- फानन में ज़िला अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टर द्वारा बताया गया कि करण अब हमारे बीच नहीं रहा। परिजनों द्वारा स्थानीय लोगों से पूछताछ पर ज्ञात हुआ कि करन का एक्सीडेंट रात 09:30 पर हुआ जिसके पश्चात दुर्घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने पुलिस और एम्बुलेंस सेवा को तत्काल सूचित किया, परंतु लचर स्वास्थ्य और न्याय व्यवस्था के कारण, उसे प्राथमिक चिकित्सा समय रहते नहीं मिल पायी और रात्रि 10:50 पर उसे मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। भावना रहित व्यवहार की परिकाष्ठा यह रही कि स्थानीय पुलिस से करन मिश्रा के पिताजी की फ़ोन पर बातचीत के बाद भी करन के शव को लावारिस घोषित कर शवगृह भेज दिया गया था।
जवान पुत्र करन मिश्रा का शव देख बीमार पिता दिनेश मिश्रा एवं परिजनों के भावनाओं का बांध और साहस दोनों टूट गए और घर पर अपने बेटे की प्रतीक्षा में बैठी मां का रो-रो कर बुरा हाल था। जिस बेटे से बाप को कंधे की आस थी, अब उसी बेटे को कंधा देने का महान शोक बीमार बाप दिनेश मिश्रा पर टूट पड़ा था।
करन तीन बहनों का एकलौता भाई था। बहनें आने वाली राखी के त्योहार को मनाने के सपने बुन रहीं थी, भाई से मिल उसके कलाई पर बांधने के लिए अच्छी से अच्छी राखी ढूंढ रही थीं परंतु नियति के खेल का क्या पता था कि उनके इकलौते भाई का हाथ और साथ दोनों छिनने वाला हैं । बहनों को करण के निधन की सूचना जब परिजनों ने दी तो उनकी आस और श्वास दोनों टूट गयीं। बहनों का दुर्भाग्य ऐसा की वह भाई का अंतिम बार मुख भी नही देख पायीं।
पुलिस ने करन की मोटर साइकिल और ईको वैन को ज़ब्त तो कर लिया लेकिन वैन का ड्राइवर अभी भी पुलिस की पहुंच से बाहर है यहां तक एफआईआर में भी इको ड्राइवर के खिलाफ उचित धाराएं (हिट एंड रन) भी नही लगाई गई है जिससे पुलिस की कार्यवाही संदेह के घेरे में आती है और सवाल उठता है कि क्या करन मिश्रा व उसके परिवार को इंसाफ मिलेगा?
करनैलगंज क्षेत्र के विधायक अजय सिंह व कैसरगंज सांसद करण भूषण सिंह, जिनके क्रमशः विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्र का करन निवासी था, उनके द्वारा भी इस विषय पर कोई संज्ञान नही लिया गया है। करन के निधन के उपरांत, विधायक और सांसद जी ने उसके घर पर जाकर वृद्ध एवं बीमार माता- पिता से शोक संवेदना व्यक्त करना भी उचित नहीं समझा व न ही किसी प्रकार की आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया जिससे एक परिवार जो अपना एकलौता रोज़गार युक्त पुत्र खो चुका है, उस परिवार के लालन पालन में बाधा न आए।
करन के निधन के उपरांत जब हमने उनके पिताजी से बात करनी चाही तो ज्ञात हुआ कि वे काफी दिनों से अस्वस्थ हैं और उनका इलाज लखनऊ में चल रहा है। उनके गांव के स्थानीय निवासियों ने बताया कि करन ही अपने घर परिवार एवम पिताजी के इलाज का सब खर्च उठाता था, अब बेटा नहीं है तो परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। गांव वालों एवं क्षेत्रवासियों का कहना है कि स्थानीय विधायक व सांसद एवम उत्तर प्रदेश सरकार को परिवार की आर्थिक सहायता करनी चाहिए।
प्रश्नचिन्ह सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय पर भी खड़ा होता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर 10 मिनट में सहायता प्रदान करने का वादा भी क्या केवल जुमला मात्र है? टोल के नाम पर जनता से मनचाही वसूली तो हो रही है लेकिन इस पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग एन एच 927 पर कर्नलगंज से लखनऊ तक सुरक्षा एवं सुविधा के नाम पर बुनियादी सुविधाएं जैसे स्ट्रीट लाइट, डिवाइडर, स्पीडोमीटर, सीसीटीवी कैमरे, फुटपाथ, चेतावनी बोर्ड इत्यादि सभी नदारद हैं। स्थानीय सांसद तनुज पुनिया जिनके लोकसभा क्षेत्र में इस जानलेवा रोड का प्रमुख हिस्सा विद्यमान है, उन्होंने आज तक लोकसभा में इस ज्वलंत मुद्दे पर कभी बात करना सार्थक नहीं समझा।