ठगी पीड़ितों की आवाज के बैनर तले लड़ी जा रही है लड़ाई
घेराव करने वालों में पीएसीएल, साई प्रसाद, विश्वामित्र, साईं प्रकाश डेवलपमेंट को ऑपरेटिव सोसायटी के अलावा और कई कंपनियों के जमाकर्ता कार्यकर्ता भी होंगे शामिल : रमेश सिंह
दरअसल 22 अगस्त को ठगी पीड़ितों की आवाज संगठन के बैनर तले लखनऊ के विभूति खंड गोमतीनगर स्थित सेबी के कार्यालय का घेराव किया जाएगा। इस घेराव में विभिन्न चिटफंड कंपनी एवं क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के पीड़ित जमाकर्ता कार्यकर्ता शामिल होंगे। सेबी कार्यालय का घेराव करने वालों में पीएसीएल, साई प्रसाद, विश्वामित्र, साईं प्रकाश डेवलपमेंट को ऑपरेटिव सोसायटी के अलावा और कई कंपनियों के जमाकर्ता कार्यकर्ता भी शामिल होंगे। यह जानकारी ठगी पीड़ितों की आवाज संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश सिंह ने दी है।
रमेश सिंह का कहना है कि 2014 में विभिन्न चिटफंड कंपनियों को सेबी ने प्रतिबंधित कर दिया था। उनका कहना है कि उस समय इन कंपनियों की प्रापर्टी अटैच करने के बाद सेल आउट कर पैसा सरकार की अथॉरिटी सेबी के पास जमा कराया गया था। रमेश सिंह का कहना है कि निवेशक अपने पैसे के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है, आत्महत्या कर रहा है, आवेदन कर रहा है, आंदोलन कर रहा है पर सेबी निवेशकों का भुगतान नहीं कर रहा है। 22 अगस्त को लखनऊ स्थित सेबी कार्यालय का घेराव कर निवेशकों का पैसा मांगा जाएगा। रमेश सिंह का कहना है कि उनका संगठन सेबी को भुगतान करने के लिए मजबूर कर देगा।
दरअसल आज की तारीख में जो मोर्चा ठगी पीड़ितों की आवाज संगठन ने खोला है वही मोर्चा सहारा ग्रुप ने खोला हुआ था। सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय जब तक जिंदा रहे तब तक वह सेबी पर सहारा ग्रुप को गलत ढंग से फंसाने का आरोप लगाते रहे। उनका कहना था कि उन्हें सेबी को पैसा देना नहीं बल्कि लेना है। जो 25 हजार करोड़ रुपये सहारा सेबी के खाते में जमा कराये गये थे, उनको भी वापस मिलने का झांसा वह निवेशकों को देते रहते थे। सहारा मीडिया में जब वेतन को लेकर आंदोलन हुआ तब भी सुब्रत राय ने इसी तरह की बात कही थी। तिहाड़ जेल में बंद सुब्रत राय से मिलने गये आंदोलनकारियों के प्रतिनिधिमंडल से सुब्रत राय ने कहा था कि उन्हें सेबी को पैसा देना नहीं बल्कि लेना है। सेबी के गलत रास्ता अख्तियार करने से सहारा ग्रुप में भुगतान की दिक्कत आ रही है। बाद में सहारा ग्रुप ने सेबी के खिलाफ बड़ा आंदोलन भी किया था।
देखने की बात यह है कि देश में सहारा निवेशकों के भुगतान का मुद्दा विभिन्न विधानसभाओं के साथ ही लोकसभा में भी उठा। तमाम संगठन निवेशकों के भुगतान को लेकर आंदोलन भी कर रहे हैं। तमाम एफआईआर दर्ज कराई गई। सहारा रिफंड पोर्टल भी लांच किया गया। वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा में यहां तक कह दिया कि दस्तावेज लाएं और अपना पैसा ले जाएं। सब कुछ हुआ पर निवेशकों का भुगतान न हो सका। यह स्थिति तब है जब सहारा सेबी के अकाउंट में निवेशकों का भुगतान करने के लिए 25000 करोड़ रुपये जमा कराये गये थे और इनमें से 5000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने निकाल भी लिये हैं।
दरअसल भुगतान को लेकर विभिन्न राज्यों से लेकर दिल्ली जंतर मंतर-रामलीला मैदान तक आंदोलन हो रहे हैं। हजारों के संख्या में एजेंटों के आत्महत्या करने की भी खबरें सामने आ रही हैं। स्थिति यह हो चुकी है कि निवेशक एजेंटों के घरों में तोड़फोड़ कर रहे हैं। निवेशक उनकी जमीन कब्जा ले रहे हैं। गोली मार देने के मामले भी सामने आये हैं। मतलब एजेंटों और निवेशकों के बीच लगातार मारपीट की खबरें सामने आ रही हैं।