दिनांक 16 जुलाई 2024 को हॉल न. 22 , कला-संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रांगण में ‘पुरवाई कल्चरल फाउंडेशन‘ (रजि.) के फाउंडर राजीव रियाज़ प्रतापगढ़ी और दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के संयुक्त प्रयास से भव्य मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें 22 कवियों व शायरों ने शिरकत कर अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।पुरवाई कल्चरल फाउंडेशन समय-समय पर इस तरह के मुशायरों का आयोजन कराते हुए पिछले एक साल से अपनी सक्रियता दर्ज करा रहा है।
यह मुशायरा देवनंदिनी हॉस्पिटल, हापुड़ के चेयरमैन, प्रसिद्ध सर्जन व लेखक , कवि डॉ श्याम कुमार के एहतराम में आयोजित किया गया। इस मुशायरे की गरिमा को विस्तार और मयार दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, लेखक, कवि श्यौराज सिंह बेचैन जी की अध्यक्षता से मिला।
कवि सम्मेलन और मुशायरे की शुरुआत सम्मानित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन व मशहूर शायर अफजल मंगलौरी जी के हुब्बुल वतनी (देशप्रेम) गीत के साथ हुई। पुरवाई कल्चरल फाउंडेशन एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थियों (कीर्ति पंवार, मुस्कान, आरती, मनीषा, पीयूष, अनुज, वीरेश, गौरव, पवन) की ओर से सभी सम्मानित शायरों व अतिथियों का बतौर निशानी सम्मान व स्वागत किया गया। तत्पश्चात् मुशायरे का आगाज जाने-माने नाज़िम-ए-मुशायरा प्रो. रहमान मुसव्विर जी ने किया। अपनी निज़ामत के शीरी लब-ओ-लहजे से उन्होंने मुशायरे को ज़िंदादिली अता की । उन्होंने शायरों की लम्बी फ़ेहरिस्त से सिलसिला-वार तरीके से शायरों को अपना कलाम पेश करने के लिए आमंत्रित किया। जिनमें शोहरा-ए-आफ़ाक़, मशहूर जनाब इक़बाल अशहर, जनाब राजीव रियाज़ प्रतापगढ़ी, ज.अश्विनी कुमार चांद, ज. अफजल मंगलौरी, ज.शाहिद अंजुमो, ज.शाहिद अनवर, ज.शिव कुमार बिलग्रामी, ज.सैयद नजम इकबाल, ज.रौशन निजामी, ज.कामिल जनेत्वी, ज.रुबा बिजनौरी, ज.अभिषेक तिवारी, मोहतरमा सोनिया कंवल, ज.हेमेंद्र खन्ना और साथ ही शायरी के नए उभरते हुए नामों में अक्षय सभरवाल (शोधार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय) और आशीष कुमार (शोधार्थी जामिया मिल्लिया इस्लामिया) आदि तमाम शायरों ने शिरकत की।
कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र विश्वभर में ग़ज़ल के पर्याय बन चुके उर्दू के मशहूर शायर आली जनाब इक़बाल अशहर साहब रहे। विश्वविद्यालय के अधिकांश ग़ज़ल रसिकों को उनकी ग़ज़लें ज़बानी याद थी। उनके मध्यम-मध्यम जादुई तरन्नुम में ग़ज़ल गायकी के दौरान विद्यार्थियों ने उनका साथ देते हुए इस बात की पुष्टि की। मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे आदरणीय प्रो. बेचैन जी ने अपने अध्यक्षीय काव्य पाठ से पहले सभी शायरों और शायरा को अपनी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया। और उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि 60 के दशक के बाद उर्दू जबान हिन्दी कविता के लिए संजीवनी की तरह काम करती रही है। सामासिक संस्कृति के प्रभाव से हिन्दी और उर्दू ज़बान एक दूसरे में रच-बस गई है। साथ ही अपनी कविता व गजलों में बेचैन जी ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों को छुआ। जिसमें राष्ट्रप्रेम, सामाजिक सद्भाव, दौर-ए-हाज़िर की जमहूरियत, स्त्री शोषण, बालश्रम आदि जैसे प्रासंगिक बिंदु सम्मिलित थे।
कार्यक्रम के अंत में अपने धन्यवाद वक्तव्य में मुशायरे के प्रमुख आयोजक राजीव रियाज़ प्रतापगढ़ी ने सभी सम्मानित अतिथियों, ग़ज़लकारों, विद्यार्थियों, श्रोताओं और आयोजन मंडली को धन्यवाद ज्ञापित किया।
रिपोर्टिंग – अक्षय सभरवाल
शोधार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय
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