वोटबैंक की राजनीति में उलझा हाथरस हादसा?

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चरण सिंह

हाथरस हादसे में चिंतनीय बात यह उभर कर सामने आ रही है कि जिस बाबा के सत्संग में ये १२१ लोग मरे उसके खिलाफ कुछ नहीं किया जा रहा है। उसके खिलाफ न तो कोई सरकार कुछ कर रही है और न ही विपक्ष उसके खिलाफ कुछ बोलने को तैयार है। मतलब जो बाबा एक सिपाही रहते हुए छेड़खानी के मामले में जेल गया उस बाबा ने आज की तारीख में इतना ताकत हासिल कर ली है कि इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज नहीं हो पा रहा है। विपक्ष तो उल्टे बाबा को निर्दोष बताते हुए उसके सेवादारों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे का ही विरोध जता रहा है। जहां सपा नेता रामजी लाल सुमन बाबा को निर्दोष बता रहे हैं वहीं बसपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भी बाबा के पक्ष में बोलते देखे जा रहे हैं। साकार बाबा के सामने योगी का बुलडोजर भी बेकार साबित हो रहा है। सोचने की बात यह है कि जो लोग इस हादसे में मरे हैं उनमें से अधिकतर बाबा के खिलाफ मुंह तक नहीं खोल रहे हैं। कुछ लोग तो हादसे मरने वालों के लिए मोक्ष मिलने की बात कर रहे हैं। क्या इस अंधविश्वास के बल पर देश विश्व गुरु बनेगा ? क्या वोटबैंक के लिए इन बाबाओं को कुछ भी करने दोगे ?
क्या राजनीतिक दलों पर वोटबैंक की राजनीति इतनी हावी हो गई है कि किसी भी दल का नेता इस बाबा के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं। इस बाबा ने ५००० हजार सैनिकों की नारायणी नाम से एक आर्मी बना रखी है। इस आर्मी में महिला कमांडो भी हैं। मतलब यह बाबा सरकार के पैररल अपनी सरकार चला रहा था। ५००० सैनिकों की बाबा की आर्मी क्या एक दिन सरकार के लिए आफत नहीं बन सकती ? क्या इस तरह के बाबा जब पनपते हैं तो सरकारों को ध्यान इस ओर नहीं जाता है ? दरअसल वामपंथी दलों को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी दल इन बाबा के झांसे में आ जाते हैं और वोटबैंक के लालच में इस तरह के बाबाओं को बढ़ावा देते रहते हैं।
क्या समाज ने बाबा राम रहीम, बाबा आसाराम बाबा रामपाल से कुछ नहीं सीखा। इन बाबाओं के अंध भक्त तो नारायण साकार से भी ज्यादा थे। लोग इन बाबाओं के पीछे दीवाने थे। क्या ये बाबा अपने ही भक्तों के बेटियों पर कुदृष्टि नहीं डालते रहे हैं? क्या इन बाबाओं पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाले इन बाबाओं के भक्तों के बच्चे नहीं रहे हैं ? मतलब लोग इन बाबाओं के चक्कर में पड़कर न केवल अपना घर बर्बाद कर हैं बल्कि अंधभक्ति के ऐसे रास्ते पर चल पड़े हैं जिसका रास्ता गहरी और अंधेरी खाई की ओर जाता है। इस बाबा के दरबार में सपा मुखिया अखिलेश यादव का फोटो वायरल हो रहा है। सपा के मुख्य महासचिव रामगोपाल कह रहे हैं कि इस तरह के हादसे होते रहते हैं। मतलब बातें तो बड़ी बड़ी करनी है पर वोटबैंक की राजनीति से बाहर नहीं निकलना है।
क्या बाबा आसाराम के सामने नतमस्तक होने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुषमा स्वराज समेत तमाम नेता बाबा आसाराम की चरण वंदना करते नजर आते थे। हरियाणा में जब पहली बार खट्टर सरकार बनी तो मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बनने के बाद पूरी कैबिनेट के साथ बाबा राम रहीम के दरबार में माथा टेकने पहुंचे थे। ऐसे ही नारायण साकार के दरबार में अखिलेश जाने की बात भी सामने आ रही है। मतलब नेता ही इन  बाबाओं का वजूद बनाते हैं। क्या वोटबैंक के लिए हाथरस हादसे पर भी राजनीति होती रहेगी। राहुल गांधी अलीगढ़ पहुंचे उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दिल खोलकर मुआवजा देने की बात कही। पर बाबा के खिलाफ राहुल गांधी भी कुछ नहीं बोले।

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