इस सत्र में मुश्किल हो जाएगा मोदी को जवाब देना!

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चरण सिंह 

18 वीं लोकसभा का पहला सत्र हंगामेदार होने वाला है। यह संकेत पहले ही दिन न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्र शुरू होने से पहले हुए संबोधन और विपक्ष के तेवर से मिल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां कहा है कि विपक्ष का नखरा और ड्रामा नहीं होना चाहिए। देश को जिम्मेदार विपक्ष चाहिए। विपक्ष ने संविधान की कॉपी के साथ मोदी सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट कर जता दिया कि संविधान उनका पहला हथियार है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अघोषित आपातकाल करार दे एनडीए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। यह अपने आप में दिलचस्प है कि सदन में जब गृहमंत्री अमित शाह सांसद पद की शपथ लेने जा रहे थे तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संविधान की कॉपी लहराई।
गत लोकसभा में जिस तरह से विपक्ष के सांसदों के बोलने पर उन्हें संसद से निष्कासित कर गया था । क्या इस सत्र में भी ऐसा किया जाएगा। क्या 234 सांसदों के विपक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दबाव में ले आएंगे ? क्या विपक्ष सत्ता पर हावी रहेगा ? ये प्रश्न इस समय राजनीतिक हलके में घूम रहे हैं। जिस तरह से विपक्ष ने ऐलान कर दिया है कि यदि उनका डिप्टी स्पीकर न बनाया गया तो वे लोग स्पीकर पद का चुनाव लड़ेंगे। विपक्ष का यह निर्णय टकराव की ओर ले जा रहा है। हालांकि एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है। उद्धव गुट की शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है कि यदि टीडीपी स्पीकर पद पर चुनाव लड़ता है तो विपक्ष उनको समर्थन करेगा। मतलब विपक्ष लगातार कूटनीतिक प्रयास कर रहा है कि किसी तरह से एनडीए में फूट पड़ जाए। कभी नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद का ऑफर देता है तो कभी चंद्रबाबू नायडू को ।
उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी भाजपा के 272 सांसद पूरे करने में लग गये हैं। बताया जा रहा है कि न केवल एनडीए घटक दलों बल्कि विपक्ष के दलों में भी टूट की जा सकती है। मोदी का प्रयास होगा कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को इस स्थिति में न छोड़ा जाए कि वे बगावत कर सरकार के लिए खतरा बन सके। गत दिनों राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह भी चुके हैं कि जदयू और टीडीपी टूट के लिए तैयार रहें। जदयू की तो खबरें भी आने लगी हैं कि ललन सिंह के नेतृत्व में १० सांसद अमित शाह के संपर्क में है। राजनीति भी देखिए किस तरह से करवट लेती है। ये ललन सिंह पिछली लोकसभा में अमित शाह को ललकार रहे थे । अब उनके नेतृत्व में जदयू में टूट की बातें सामने आ रही हैं। दरअसल मोदी भी हर हाल में पांच साल सरकार चलाने चाहते हैं तो विपक्ष भी हर हाल में सरकार बनाना चाहता है। अखिलेश यादव तो कन्नौज से लड़े ही इसलिए हैं कि इंडिया ब्लॉक की सरकार बनने पर बड़ा मंत्रालय झटक लेंगे। कुछ ही यह सत्र हंगामे होने वाला है। 26 जून को स्पीकर के चुनाव में विपक्ष इतनी आसान से बीजेपी का स्पीकर नहीं बनने देगा। 28 तारीख से हो रही बहस में विपक्ष का प्रयास होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसे घेरा जाए कि उनका जवाब देना मुश्किल हो जाए।

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