चरण सिंह
प्रियंका गांधी कांग्रेस में ऐसा चेहरा हैं जिनकी मेहनत, राजनीतिक समझ और निर्णयों को लेकर लगातार तारीफ होती रही है। वह बात दूसरी है कि इन लोकसभा चुनाव में उन्हें किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ाया गया। हालांकि उन्होंने खुद ने ही चुनाव प्रचार करने की बात कही थी। क्या प्रियंका गांधी को चुनाव न लड़ाने के पीछे कांग्रेस की वायनाड से उप चुनाव लड़ाने की रणनीति थी ? वैसे भी कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने उस समय इस बात के संकेत दे दिये थे। जब राय बरेली से राहुल गांधी तो अमेठी से सोनिया गांधी के पीएम किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया गया तो प्रियंका गांधी के नाम पर खूब चर्चा हुई थी। तब यह माना जा रहा था कि यदि राहुल गांधी राय बरेली और वायनाड दोनों ही सीटों से चुनाव जीत जाते हैं तो एक सीट प्रियंका गांधी के लिए छोड़ेगे। अब जब राहुल गांधी ने वायनाड सीट छोड़कर रायबरेली में ही टिके रहने का ऐलान किया है तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वायनाड से प्रियंका गांधी को उप चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि वायनाड से प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ाने के पीछे क्या वजह हो सकती है ?
दरअसल दक्षिण भारत ने गांधी परिवार को हमेशा सहारा दिया है। २०१९ के लोकसभा चुनाव में जब राहुल गांधी अमेठी से हार गये तो कर्नाटक की वायनाड सीट ने राहुल गांधी को विजय प्राप्त कराई थी। २०१४ के लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस ४४ सीटों पर सिमट कर रह गई तो दक्षिण से कांग्रेस की १९ सीटें थीं। २०१९ में जब कांग्रेस ५२ सीटों पर सिमट कर रह गई तो २९ सीटें दक्षिण भारत से थी। अब जब कांग्रेस ने ९९ सीटें हासिल की हैं तो इनमें ४२ सीटें दक्षिण से हैं। ऐसे ही १९९९ में जब सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं तो वह कर्नाटक की बेल्लारी और अमेठी से चुनाव लड़ीं। तब सोनिया गांधी दोनों सीटों से चुनाव जीत गई थीं। बाद में सोनिया गांधी ने बेल्लारी सीट छोड़ दी थी। ऐसे ही १९७७ में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं तो कर्नाटक की चिकमंगलूर की सीट से चुनाव लड़ीं और साउथ से सांसद बनीं। इस बार पहले राहुल गांधी को वायनाड से चुनाव जिताया तो उप चुनाव में प्रियंका गांधी का जितना तय है। मतलब प्रियंका गांधी को दक्षिण भारत में कांग्रेस की मजबूती के लिए उप चुनाव लड़ाया जा रहा है।
भले ही आज की तारीख में राहुल गांधी कांग्रेस का चेहरा हों पर प्रियंका गांधी हर मामले में राहुल गांधी से आगे माना जाती हैं। चाहे भाषण की बात हो, मेहनत की बात हो, निर्णय लेने की बात हो या फिर आंदोलन करने की। प्रियंका गांधी राहुल गांधी से आगे दिखाई देती हैं। ऐसे में एक रणनीति के तहत प्रियंका गांधी को राहुल गांधी से अलग रखा जा रहा है। आने वाले समय में प्रियंका गांधी दक्षिण में तो राहुल गांधी उत्तर में राजनीति करतेे दिखाई देंगे। यदि प्रियंका गांधी उप चुनाव जीतती हैं तो जहां एक ओर भाई बहन की जोड़ी संसद में होगी वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव संसद की शोभा बढ़ाते दिखेंगे। वामपंथी सांसद अलग से मोर्चा खोलते दिखाई देंगे। मतलब पहला सत्र ही हंगामेदार होने वाला है। पहले तो लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव है। यह बात गांधी बांध लेनी चाहिए कि अपने घटक दलों में से किसी एक को भी मोदी लोकसभा अध्यक्ष पद देने वाले नहीं हैं। हां यह जरूर कहा जा सकता है कि इस बार विपक्ष 2014 या 2019 वाला नहीं है। 234 सांसद विपक्ष की दीर्घा में बैठेंगे तो संसद का नजारा देखने लायक होगा।