मोदी के लिए कांटों भरा होगा इस बार का ताज!

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चरण सिंह 

लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। जदयू और टीडीपी दोनों ही सहयोगी दलों ने बिना शर्त समर्थन दे दिया है। नीतीश कुमार भले ही फिलहाल मंत्रियों पर न अड़ रहे हों पर टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू की ओर से लोकसभा अध्यक्ष और वित्त मंत्रालय मांगने की बात सामने आ रही है। नीतीश कुमार भी पुराने घाघ  हैं। वह भी 2019 की कसर 2024 में पूरी कर लेना चाहते हैं। वह भी इस बार प्रभावी मंत्रालय लेने से नहीं चूकेंगे। मतलब नरेन्द्र मोदी तीसरी पारी खुलकर नहीं खेल पाएंगे।

हालांकि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ पिछले कार्यकाल की तरह कार्रवाई की बात कर रहे हैं। वह बात दूसरी है कि उन पर विरोधियों के टारगेट करने का आरोप लगाया जाता रहा है। उन पर आरोप लगता रहा है कि जो नेता उनकी शरण में आ गया तो वह ईमानदार हो जाता है और जो उनके दबाव में नहीं आता है वह भ्रष्टाचारी हो जाता है। इस बार का विपक्ष उनका एकतरफा भाषण सुनने वाला नहीं है। 234 सीटें लेकर मजबूती प्रदान करने वाला इंडिया गठबंधन इस बार प्रधानमंत्री को खुलकर बोलने ही नहीं देगे। कांग्रेस से राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, आजाद समाज पार्टी की ओर से चंद्रशेखर आजाद जैसे सरीखे नेताओं का सामना नरेंद्र मोदी को करना पड़ेगा। इस बार की संसद देखने लायक होगी।

तो क्या मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में सीएए पर काम कर पाएंगे ? क्या वह एक देश एक चुनाव पर काम कर पाएंगे ? क्या वह एक देश और एक कानून पर काम कर पाएंगे ? दरअसल भाजपा के कई एजेंडे हैं, जिनका विरोध नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू करते रहे हैं। ऐसे में क्या चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी अपने विश्वास में ले पाएंगे ? क्या इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी बन पाएगी ? क्या चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पद बीजेपी के लिए छोड़ देंगे ?

क्या बीजेपी के सांसदों को मोदी इन परिस्थितियों में मैनेज कर पाएंगे ? या फिर क्या मोदी और अमित शाह ऐसी स्थिति में है कि वह अपने सांसदों को चुप करा दें। दरअसल मोदी के लिए इस बार का ताज कांटो भरा रहेगा। खुलकर काम करने वाले मोदी को इस कार्यकाल में बंधन में काम करना पड़ेगा। देखने की बात यह है कि 2019 के चुनाव में चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार का विरोध करते हुए तीसरे मोर्चे की कवायद में जुटे थे तो 2024 के लोकसभा में नीतीश कुमार ने ही विपक्ष की लामबंदी की शुरुआत की थी। नीतीश कुमार तो यहां तक कह रहे थे कि मरना मंजूर है पर वह एनडीए में नहीं जाएंगे।
भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलने पर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी के तीसरे कार्यकाल में अपना हित साधना चाहते हैं। इन दोनों ही नेताओं का प्रयास होगा कि अपने-अपने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा ले लिया जाए। यह तो नरेंद्र मोदी भी जानते हैं कि वह पांच साल तक सरकार नहीं चला पाएंगे। तो क्या बीजेपी निर्दलियों और छोटे दलों को अपने में मिला सकती है ? नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी इस ओर प्रयास शुरू कर दे तो इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है। ऐसे में बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए 32 सीटें और चाहिए। 32 सीटें बीजेपी में मिलाने के लिए प्रयास होगा तो निश्चित रूप से नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को दिक्कत होगी। यही सब वजह है कि जहां आरएसएस इस ओर कोई प्रयास नहीं कर रहा है वहीं इंडिया गठबंधन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलहाल विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।

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