पांचवें चरण के मतदान में पिछड़ रही बीजेपी ?

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चरण सिंह 

पांचवें चरण के मतदान में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 49 सीटों पर हुए मतदान के बाद समीकरण भाजपा के खिलाफ दिखाई दे रहे हैं। देश के सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश की जिन 14 सीटों पर मतदान हुआ है उनमें से 13 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज और गोंडा लोकसभा क्षेत्र में मतदान हुआ है।  इन सीटों में से 7 सीटों पर सीधा मुकाबला माना जा रहा रहा है।
कौशांबी, फैजाबाद, बांदा, अमेठी और मोहनलालगंज लोकसभा ऐसी सीटें हैं जो 2019 के लोकसभा चुनाव में एक लाख से कम अंतर से जीती गई थीं। कौशांबी में तो विनोद सोनकर मात्र 38722 वोटों से हारे थे। इस बार राजा भैया को बीजेपी साध नहीं पाई है। ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि राजा भैया ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को सपा को वोट करने का इशारा कर दिया था। फैजाबाद में भी लल्लू सिंह की यही स्थिति है। कैसरगंज में बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों ने जो यौन शोषण के आरोप लगाये थे उनका असर चुनाव में भी देखने को मिल रहा है। बृजभूषण सिंह बेटे करण शरण सिंह की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं है। यदि करण शरण सिंह जीते तो बहुत कम वोटों से जीतेंगे। राय बरेली में राहुल गांधी ने एक तरफा माहौल बना दिया है। सपा छोड़कर भाजपा में आये मनोज पांडेय और विधायक अदिति सिंह की नाराजगी का असर भाजपा पर पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी, स्मृति ईरानी और राजनाथ सिंह के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद हो चुका है। बिहार में लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी व अली अशरफ फातमी, बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की पुत्री रोहिणी आचार्य का भाग्य भी चार जून को खुलेगा।
सारण, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और मधुबनी में हुए मतदान में भी सभी सीटें भाजपा को नहीं जाती दिखाई दे रही हैं। मतलब पांचवें चरण के मतदान में भाजपा को तगड़ा झटका लगने वाला है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में जिस तरह से कहा है कि अब भाजपा अपने आप में सक्षम है। अटल बिहारी वाजपेयी के समय संगठन कमजोर था तो उस समय आरएसएस की जरूरत पड़ती होगी। पर अब नहीं पड़ती है। उन्होंने कहा कि आरएसएस सामाजिक, सांस्कृतिक और वैचारिक संगठन है। भाजपा राजनीतिक संगठन है। वे लोग अपना काम कर रहे हैं और हम लोग अपना काम कर रहे हैं। जेपी नड्डा ने इस इंटरव्यू से आरएसएस के नाराज होन की खबर आ रही है। वैसे भी पहले चरण के मतदान में जिस तरह से कम वोट पड़ने की बात सामने आई।
बीजेपी के पास फीडबैक था कि उनको इस चरण नुकसान हो रहा है। तो प्रधानमंत्री भागे भागे आरएसएस मुख्यालय नागपुर गये और मोहन भागवत से मिले। ऐसे में जिस तरह से अब जेपी नड्डा ने आरएसएस की जरूरत न होने की बात कही है तो निश्चित रूप से आरएसएस में नाराजगी देखने को मिलेगी। आरएसएस की नाराजगी का असर चुनाव पर भी पड़ेगा।

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