चरण सिंह
तो क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से पलटी मारने वाले हैं ? क्या पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के बारे में जो कह रहे हैं वह ठीक है ? दरअसल तेजस्वी यादव ने कहा है कि चाचा का दिमाग तो उधर है पर दिल हमारे साथ है। वैसे भी इस बात को ऐसे ही हवा नहीं मिल रहा है ? नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में कमल के फूल का कटआउट लिये नजर आये। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन कार्यक्रम में वाराणसी नहीं पहुंचे।
दरअसल नीतीश कुमार समय समय पर पलटी मारते रहे हैं। 2009 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर लड़ा और 20 सीटें जीती। 2014 का चुनाव उन्होंने बीजेपी से अलग होकर लड़ा। दो सीटें पर सिमट कर रह गये। 2019 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार ने फिर से बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा और 17 सीटें जीती। इस बार भी वह बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। मतलब उन्हें लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें लेनी हैं।
इसमें दो राय नहीं कि नीतीश कुमार ने एनडीए में जाकर लालू परिवार पर जमकर हमला बोला है। पर इंडिया गठबंधन की सरकार बनने की स्थिति में फिर से इंडिया गठबंधन में आ सकते हैं। वैसे भी इंडिया गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार के खिलाफ कड़ी बयानबाजी नहीं की जा रही है। नीतीश कुमार के बारे में यह कहा जाता है कि उनका बाया हाथ क्या करता है दाएं हाथ को नहीं पता होता है। नीतीश कुमार हमेशा विकल्प तैयार रखते हैं।
नीतीश कुमार भले ही एनडीए में यह कहकर गये कि उनकी इंडिया गठबंधन में सुनी नहीं जा रही थी पर नीतीश कुमार क्या प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनने के लिए विपक्ष की लामबंदी कर रहे थे ? क्या समाजवादी विपक्ष में विश्वास नहीं रखते हैं ? क्या डॉ. राम मनोहर लोहिया, लोकनायक जयप्रकाश और कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता सत्ता के पीछे भागते थे ? दरअसल नीतीश कुमार सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
जी 20 समिट में इंडिया गठबंधन की ओर से कोई मुख्यमंत्री नहीं गया पर नीतीश कुमार वहां पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गलबहियां करते वह देखे गये। मतलब एनडीए में जाने की बात उनकी बहुत पहले से चल रही थी। नीतीश कुमार को सत्ता का लालच हो गया है। वह सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। नीतीश कुमार कहते थे कि बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बजाय वह मरना पसंद करेंगे। अब वह मोदी से कह रहे हैं कि अब वापस नहीं जाएंगे साथ रहेंगे। अब नीतीश कुमार की कौन सी बात का विश्वास किया जाए ?
हालांकि लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक में जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तुत किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके नाम का समर्थन कर दिया। ऐसे में लालू प्रसाद चुप रहे और नीतीश कुमार मीटिंग से उठकर सीधे पटना चले आये। इंडिया गठबंधन ने मामला संभाला नहीं। ऐसे में नीतीश कुमार को एक बड़ा बहाना मिल गया और वह एनडीए में शामिल हो गये। आज की तारीख में वह एनडीए में बड़ा बेबस महसूस कर रहे हैं।