बिजनौर। अपनी काष्ठ कला के दम पर लकड़ी के विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार करके पूरे हिंदुस्तान तथा अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में अपनी पहचान बनाने वाली नगरी नगीना को नए परिसीमन के बाद कोई नगीना मिलना कठिन कार्य हो गया है। इस बार भी सभी राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव में नगीना को नगीना बनाने के लिए नए किरदारों को मैदान में उतारा है। जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में नगीना नाम का प्राचीन कस्बा है। जो अपनी काष्ठ कला के दम पर अपनी पहचान बनाए हुए हैं। नगीना के नाम से लोकसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 2009 में हुआ था तब इस सीट पर जनपद बिजनौर की नगीना, नजीबाबाद, नहटौर धामपुर और नूरपुर विधानसभाएं लगाई गई थी। तथा नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई नई लोकसभा में समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह धोबी ने जीतकर नगीना की पहचान बनाई। वर्ष 2014 में यह सीट भाजपा के खाते में चली गई और यहां से मेरठ जनपद के डॉ यशवंत सिंह चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2019 में एक बार फिर नगीना की जनता ने नगीना चुनने की लालसा में बदलाव करते हुए बसपा के गिरीश चंद्र को मौका दिया। लेकिन यहां भी नगीना लोकसभा क्षेत्र की जनता को निराशा ही हाथ लगी।
दुनिया भर में यहां के काष्ठ कला के कारीगर अपनी मेहनत और हुनर के दम पर नगीना शहर का नाम रोशन कर रहे हैं। लेकिन नगीना लोकसभा क्षेत्र की बुनियादी जरूरतो को किसी भी जनप्रतिनिधि में ना तो सुना और ना ही पूरा करने का कोई प्रयास किया। नगीना लोकसभा क्षेत्र के वोटरों ने सांसद के तौर पर हर बार नए किरदार को चुनकर लोकसभा भेजा, ताकि वह नगीना लोकसभा क्षेत्र को संवार दे, लेकिन सभी किरदार जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरे। दलित मुस्लिम बाहुल्य आरक्षित इस लोकसभा सीट पर इस बार भी भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी एवं आजाद समाज पार्टी में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।
नगीना लोकसभा क्षेत्र के वोटरों का कहना है की बीते 15 वर्ष में उन्होंने हर दल को परख लिया है पर नगीना लोकसभा क्षेत्र के विकास कार्य की सुध किसी भी जनप्रतिनिधि ने नहीं ली है और न हीं सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को नगीना लोकसभा क्षेत्र में उतारा गया है। लगभग 17 लाख 5000 मतदाता वाला यह लोकसभा क्षेत्र उत्तराखंड बॉर्डर से लेकर जिला मुख्यालय को एक साथ जोड़ने का कार्य करता है। वर्तमान में इस लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने नहटौर विधानसभा से अपने मौजूदा विधायक ओम कुमार को प्रत्याशी बनाया है। तो समाजवादी पार्टी ने न्यायिक सेवा में रहे मनोज कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि बहुजन समाज पार्टी ने वर्तमान सांसद गिरीश चंद्र का टिकट काटकर अधिवक्ता सुरेंद्र पाल सिंह पर भरोसा जताया है। इसके अलावा आजाद समाज पार्टी की ओर से स्वयं उसके मुखिया चंद्रशेखर भी इस बार नगीना की राजनीतिक लड़ाई को और रोचक बना रहे हैं।
नगीना लोकसभा की जनता इस बार भी किस पार्टी पर भरोसा करती है यह बात देखने वाली है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर सभी प्रत्याशी बाहरी है। दलित और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के अंतर्गत पांच चीनी मीलें और गन्ने की खेती भी मुख्य मुद्दा मानी जा रही है। नगीना लोकसभा क्षेत्र को व्यापारिक क्षेत्र के रूप में पहचान देने वाला धामपुर कस्बा भी लोकसभा क्षेत्र में आता है। यहां के लोगों का भी यही कहना है कि नगीना लोकसभा क्षेत्र में विकास कार्यों के अलावा,मजबूत कानून व्यवस्था, राष्ट्रवाद आदि भी इस चुनाव में मुद्दा बन सकते हैं। इस बार भी देखना यह है की नगीना लोकसभा क्षेत्र की जनता अपना रुख क्या तय करती है। और किस पार्टी के उम्मीदवार को अपना जन प्रतिनिधि बना कर लोकसभा भेजती आई है।