श्वेताम्बर कोठी स्थित नौलखा मन्दिर की 63 वीं वर्षगाँठ में जुटे कई राज्यों के जैन श्रद्धालु

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मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर के वर्षगांठ पर राजगीर में निकली शोभायात्रा

ध्वजारोहण कार्यक्रम के मौके पर भगवान मुनि सुब्रत स्वामी की हुई सुन्दर आँगी

तीर्थकरों के चरण धूलि से पवित्र है राजगीर का कण-कण

वार्षिकोत्सव के मौके पर मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर के शिखर पर हुआ नव ध्वजारोहण

 

राजगीर ।  यहां के मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर ( नौलाख मंदिर) का 63 वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से सोमवार को मनाया गया. इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, दिल्ली, पटना आदि जगहों के जैन धर्मावलंबी बड़ी संख्या में शामिल हुए हैं. कोलकाता के बाबू जीवराज जी, नथमल जी, भीखमचन्द जी, सोहनलाल जी रामपुरिया परिवार द्वारा इसका आयोजन समारोह पूर्वक किया गया. इस अवसर पर नगर शोभायात्रा निकाली गयी. यह शोभायात्रा मंदिर परिसर से निकाली गयी. नगर भ्रमण कर पुन: यह शोभायात्रा नौलाख मंदिर वापस आ गयी. इस शोभायात्रा में जैन श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए. बैंड बाजे की धुन पर श्रद्धालु नाचते गाते शोभायात्रा में शामिल हुए. इस अवसर पर मुनि सुब्रत नाथ मन्दिर में जैन विधि से सत्रहभेदी पूजा की गयी. मन्दिर के शिखर पर कोलकाता के रामपुरिया परिवार वालों की तरफ से ध्वजारोहण किया गया. नूतन ध्वजारोहण के पहले महिला श्रद्धालुओं द्वारा मुनिसुव्रत स्वामी के मंदिर की पांच बार परिक्रमा किया गया। इस अवसर पर मन्दिर में भगवान की सुन्दर आँगी कोलकाता निवासी सुरेश भाई के द्वारा की गयी. मुकेश भाई और कमलेश भाई द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. उनके मधुर भजनों से श्रद्धालु भाव विभोर होकर भक्ति की गंगा में डुबकी लगाते रहे. इस अवसर पर संजय रामपुरिया ने कहा कि उनके परिवार द्वारा राजगीर के मुनि सुब्रत नाथ मंदिर में ध्वजा चढ़ाने की पुरानी परंपरा है. वर्ष 1961 से इस मन्दिर के शिखर पर कोलकाता के रामपुरिया परिवार द्वारा ध्वजा चढाया जा रहा है. तब से उनके परिवार द्वारा प्रत्येक वर्ष नया ध्वज मन्दिर के शिखर पर चढाया जाता है. यह उनके परिवार के लिये सौभाग्य की बात है कि हमें प्रत्येक वर्ष कल्याणक भूमि में आकर ध्वजा चढ़ाने का लाभ मिला है। जतनलाल रामपुरिया ने कहा कि जैन धर्म के 20 वें तीर्थकर भगवान मुनिसुव्रत स्वामी की जन्मभूमि के इस मन्दिर को स्थानीय लोग नौलखा मन्दिर के नाम से भी जानते हैं. उन्होंने कहा कि राजगीर जैन धर्म के लिये काफी पवित्र तीर्थ स्थान है। यहाँ के कण-कण में तीर्थकरों के चरण रज से पवित्र है। कल्याणक भूमि की यात्रा करना बड़े ही पुण्य का काम है। यहां श्रद्धा से पूजा अर्चना करने से मनवांक्षित फल मिलता है. राजगीर जैन धर्मावलंबियों के लिये अद्भुत और पवित्र तीर्थ स्थान है. यहाँ के कण-कण में तीर्थकरों के पगध्वनि सुनाई पड़ती है. इस कल्याणक भूमि की यात्रा पुण्य समान है. श्री जैन
श्वेताम्बर कोठी के सहायक प्रबंधक ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि नौलाख मन्दिर का निर्माण राजस्थान के कुशल कारीगरों द्वारा 1955 में शूरु किया गया था. यह मंदिर 1961 में बनकर तैयार हुआ था. चैत वदि सप्तमी को प्राण प्रतिष्ठा कर भगवान मुनि सुब्रत स्वामी को विराजमान किया गया था. तब से अबतक रामपुरिया परिवार कोलकाता की तरफ से हर वर्ष मन्दिर जी के शिखर पर समारोह पूर्वक ध्वजारोहन किया जाता है।

कैशियर संजीव कुमार जैन ने कहा कि यह मंदिर कई विशेषताओं से परिपूर्ण है. बिहार के इस भव्य मंदिर के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यह मंदिर जैन धर्म के बीसवें तीर्थकर भगवान मुनिसुब्रत स्वामी का है. जिनकी जन्मभूमि राजगीर तीर्थ है. समारोह कोलकाता सहित अन्य जगहों के जैन श्रद्धालु काफी संख्या में शामिल हुये. उनमें नेमीचन्द रामपुरिया, विजय रामपुरिया, संजय रामपुरिया, रमेश वसा, कौशल रामपुरिया, देव रामपुरिया, विकाश रामपुरिया, अजय रामपुरिया, कांता रामपुरिया, निर्जरा ग्रुप कोलकाता की आशा बेन, विमल जैन, विमला देवी, पुष्पा देवी, अरूणा रामपुरिया, मोनू सुचन्ती, वीरेन्द्र कुमार जैन, ज्ञानचन्द जैन, रेखा जैन, कंचन जैन, रूपा जैन, मदन चन्द अग्रवाल, प्रेमचन्द अग्रवाल, जगन्नाथ तिवारी, सतेन्द्र कुमार, दिपीका जैन, रितिका जैन, परि जैन, सहित काफी संख्या में श्रद्धालु तथा कर्मचारी उपस्थित थे।

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