चरण सिंह
बसपा मुखिया मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी तो जरूर बना दिया है पर उनको स्थापित करना उनके लिए बड़ी चुनौती है। आकाश आनंद एक अप्रैल को नगीना लोकसभा सीट से चुनाव प्रचार की शुरुआत करने जा रहे हैं। नगीना सीट से ही आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद चुनाव लड़ रहे हैं। मायावती भी जानती हैं कि भले ही आकाश आनंद नगीना लोकसभा सीट से चुनाव न लड़ रहे हों पर उनके असली प्रतिद्वंद्वी आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ही हैं। चंद्रशेखर आजाद लगातार आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं और आकाश आनंद अपनी बुआ मायावती की राजनीतिक विरासत के बल पर सोशल मीडिया तक ही सीमित हैं। चंद्रशेखर आजाद किसान आंदोलनों के साथ ही दिल्ली जंतर मंतर पर होने वाले पहलवानों के आंदोलन में भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। देशभर में जगह-जगह दलितों और मुस्लिमों के साथ ही दूसरे समाज की हक हकूक की लड़ाई में शामिल होते देखे गये। आकाश आनंद बयानबाजी तक ही सीमित रहे।
देखने की बात यह है कि बसपा मुखिया मायावती भले ही केंद्र सरकार के दबाव में इंडिया गठबंधन का हिस्सा न बन पाई हों पर उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को नेता बनाने की तैयारी जरूर कर ली है। आकाश आनंद लोकसभा चुनाव में 25 रैली करने जा रहे हैं। पहली रैली जनपद बिजनौर की नगीना लोकसभा सीट पर करेंगे। मतलब वह पहली रैली में ही अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी चंद्रशेखर आजाद को ललकारने जा रहे हैं। चंद्रशेखर आजाद का सामना नगीना लोकसभा सीट पर चंद्रशेखर आजाद से होना है।
आज की परिस्थितियों में चंद्रशेखर आजाद भले ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा न हो पर नगीना सीट से सपा और कांग्रेस के उनको चुनाव न लड़ने पर लोगों की सहानुभूति जरूर मिल रही है। क्योंकि आकाश आनंद वंशवाद पर टिका नेतृत्व है तो आकाश में उतना दम नहीं कि चंद्रशेखर के संघर्षमय नेतृत्व का मुकाबला कर पाए। जहां तक बसपा के कैडर की बात है तो आज की तारीख में उसके पास मात्र एक ही विधायक है। उसके सांसद दूसरी पार्टियों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। डूबती पार्टी की बागडोर मायावती ने अपने भतीजे को सौंपी है।
आकाश आनंद के सामने बसपा को आगे बढ़ाने में दो चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा एक तो उन्हें डूबती जा रही बसपा को बचाना है, दूसरी उन्हें दलित युवाओं का आदर्श बनते जा रहे चंद्रशेखर आजाद से आगे निकलना है। आंदोलनों में बढ़चढ़ कर भाग लेने वाले चंद्रशेखर आजाद के मझे हुए नेतृत्व के सामने आकाश आनंद को बड़ा संघर्ष करना होगा। ऐसे में मायावती को एक कारगर रणनीति के तहत आकाश आनंद को आगे बढ़ाना होगा। भले ही मायावती बीएसपी को धर्मनिरपेक्ष पार्टी बोल रही हों पर एक ओर तो आज की तारीख में बसपा पर भी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की तरह से बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लग रहा है। दूसरी ओर दलित वोट बैंक लगातार बीजेपी से सट रहा है।
दरअसल राजनीति की मझी हुई खिलाड़ी मायावती ने एक रणनीति के तहत आकाश को बिना चुनाव लड़ाए चमकाने की योजना बनाई है। इन लोकसभा चुनाव में बसपा की ओर से आकाश आनंद ही स्टार प्रचारक हैं। आकाश आनंद को 25 रैलियां करनी हैं। 25 रैलियों का मतलब आकाश इन चुनाव में पहचान बनाने की कोशिश करेंगे। बसपा ने आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया है। सोशल मीडिया पर आकाश आनंद लगातार सक्रिय हैं। भले ही वह चंद्रशेखर आजाद के सामने चुनाव न लड़ने जा रहे हों पर उसका असली मुकाबला चंद्रशेखर आजाद से ही है। भले ही मायावती चार बार की मुख्यमंत्री हों पर आज की तारीख में उनकी नाव डूबने की कगार है। ऐसे में आकाश आनंद को अपने को सिद्ध करने के साथ ही बसपा को भी बचाना है।