निर्धारित तिथि को लगेंगे मधु मेला, चुनाव बाद बनेगी शहद टेस्टिंग लैब।
समस्तीपुर पूसा डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में चल रहे वैज्ञानिकी विधि से मधुमक्खी पालन एवं शहद के उत्पादों का मूल्य संवर्धन विषय छह दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुई। जिसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा पीएस पांडेय ने कहा सर्वप्रथम शहद उत्पादों का मूल्य संवर्धन करने की जरूरत है। जिससे मधुमक्खी पालक एवं शहद उत्पादकों को उत्पाद के बदले समुचित लाभ दिलाया जा सके। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों की तन्नमयता काफी सराहनीय रहा है। वो लोग बहुत उत्साहित होकर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किए है। इस प्रशिक्षण सत्र में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए कुल 80 प्रतिभागियों में से 44 प्रतिभागी महिला किसान मानों इस प्रशिक्षण सत्र में चारचांद लगा दिया हो। प्रतिभागियों में सबसे पहले कॉन्फिडेंट लाने की जरूरत है। कोई भी व्यवसायियों में कॉन्फिडेंट आ गया तो स्वतः बेहतर बाजार मिलने का आसार हो जाता है।
लीची के शहद का जीआई टैग लाने का बहुत जल्द प्रयास किया जा रहा है। जीआई टैग मिलने पर विश्वविधालय के शहद एवं गुड़ देश ही नहीं बल्कि विदेशों के बाजार में भी अपना जलवा बिखेरने का कार्य करेगी। शहद के लिए कोई अन्य व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में विश्वविधालय अपने फंड से ही लोकसभा चुनाव के बाद टेस्टिंग लैब स्थापित करेगी। जिससे क्षेत्रीय दर्जनों मधु उत्पादकों को बेहतर प्रसंस्करण के बदौलत ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलने की संभावना होगी। कुलपति डा पांडेय ने मधुमक्खी पालन केंद्र प्रभारी डा नागेंद्र कुमार को निर्धारित तिथि पर विश्वविधालय परिसर में मधु मेला लगाने का समुचित दिशा निर्देश दिया। आने वाले समय में किसानों को सर्वोत्तम तकनीकी ज्ञानवर्धन के लिए कृषि क्षेत्र के सभी उपयोगी मेला लगाने का भी निर्देश दिया। प्रशिक्षण में प्राप्त तकनीकी ज्ञान एवं किसान का डाटाबेस तैयार करने का भी निर्देश दिया। जिससे प्रशिक्षण लेकर गांव में गए हुए किसान आखिर कितना हद तक प्रशिक्षण में मिले ज्ञान एवं तकनीकों का सदुपयोग किया यह जानकारी विश्वविधालय के संबंधित विभागों को होनी चाहिए। प्रशिक्षण के उपरांत प्रतिभागियों को एक मधु का बॉक्स या नेट देने का भी प्रावधान होना चाहिए। आने वाले समय में विश्वविधालय के अंतर्गत आयोजित होने वाली सभी प्रशिक्षण को एक जगहों पर सेंट्रलाइज करने की दिशा में पहल की जा रही है। बहुत जल्द परिणाम सामने होगा। कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के प्रमुख डा आरके तिवारी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। निदेशक अनुसंधान डा अनिल कुमार सिंह ने कहा कि यह प्रशिक्षण किसान एवं वैज्ञानिकों के बीच संबंध की शुरुआत है। शहद उत्पादन से लेकर मूल्य संवर्धन तक का वैज्ञानीकी तकनीक को जीवन में उतारने का प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत देश कृषि पर आधारित देश है। परंपरागत काल में जीवन यापन के लिए खेती की जाती थी। फिर बेहतर पोषण युक्त भोजन एवं अधिकाधिक उत्पादन कर स्वरोजगार की दिशा में जुड़कर लाभ लेने की जरूरत है। फिलवक्त कृषि के क्षेत्र में विविधीकरण करने की जरूरत है। कृषि में दूसरे आयामों को शामिल कर लाभान्वित होने पर किसानों में समृद्धि आएगी। मधुमक्खी किसानों हमेशा से मित्र कीट होते है। बिहार शहद उत्पादन के क्षेत्र में देश स्तर पर चौथे पायदान पर है जो बहुत ही जल्द मशरूम के तरह पहले स्थान प्राप्त करने वाला है। प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान को आत्मसात करने की जरूरत है। सभी प्रतिभागियों को कुलपति ने प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। संचालन समन्वयक डा मोहित शर्मा ने की। धन्यवाद ज्ञापन मधुमक्खी पालन केंद्र प्रभारी सह वैज्ञानिक डा नागेंद्र कुमार ने की। मौके पर वैज्ञानिक सह समन्वयक डा रामदत्त, डा शमीर कुमार, दीपक कुमार, हिमांशु आदि मौजूद थे।