लगातार जनाधार खोती जा रही बसपा में आखिरकार ऐसी क्या बात है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ओर से उन पर डोरे डाले जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि या तो वह एनडीए में शामिल हो जाए नहीं तो अकेले चुनाव लड़े। बीजेपी का प्रयास है कि किसी भी हालत में बसपा को इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं बनने देना है। ऐसे ही इंडिया गठबंधन भी हर हाल में बसपा को अपनी ओर करना चाहता है।
उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय और अध्यक्ष अजय राय दोनों ही समाजवादी पार्टी से ज्यादा इच्छुक गठबंधन के बसपा से रहे हैं। यही हाल कांग्रेस भी का है उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन होने के बावजूद अभी भी कांग्रेस बसपा को इंडिया गठबंधन में लाने के लिए प्रयासरत है। बसपा पर इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ओर से डोरे डालने का बड़ा कारण यह है कि दम तोड़ती नजर आ रही बसपा इन लोकसभा चुनाव के समीकरण बदल सकती है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की मायावती से इंडिया गठबंधन को लेकर बात चल रही थी। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद बसपा इंडिया गठबंधन में शामिल हो सकती हैं।
भले ही बसपा का मौजूदा समय में एक विधायक हो, भले ही उसके दस के दस सांसद दूसरे दलों से चुनाव लड़ने की जुगत भिड़ा रहे हों, भले ही बसपा का वोट बैंक 2019 के लोकसभा चुनाव से 19 फीसद से खिसक कर 13 फीसद से भी कम हो गया हो पर बसपा की मुखिया मायावती में आज भी वह दमखम है कि लोकसभा चुनाव के समीकरण बदल सकती हैं। हां यह जरूर कहा सकता है कि इंडिया गठबंधन उसे प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया जाए। दरअसल आजादी के बाद से किसी दलित को प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया है। वह बात दूसरी है कि सभी दल दलितों का हितैषी होने का दावा करते हैं। 1977 में जनता पार्टी में बाबू जगजीवन राम के प्रधानमंत्री बनते बनते रह जाने के बाद दलितों में यह टीस है कि दलितों में से किसी को देश का प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया है। ऐसे में यदि मायावती को प्रधानमंत्री बना दिया जाता है तो देश के दलितों में एक अलग उत्साह देखने को मिलेगा।
ऐसे में दलितों का एक तरफा वोट इंडिया गठबंधन को मिल सकता है। वैसे भी मुस्लिमों का वोट बैंक इंडिया गठबंधन का माना जा रहा है। यही वजह है कि बीजेपी का प्रयास है कि किसी भी हालत में बसपा इंडिया गठबंधन से मिलकर न लड़ पाए। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाती हैं तो फिर उत्तर प्रदेश में सीटों का बंटवारा कैसे होगा ? इसमें दो राय नहीं कि भले ही सपा पहले बसपा के नाम से बिदक रही थी पर आज की तारीख में सपा भी बसपा से गठबंधन करना चाहती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि न केवल सपा बल्कि, आप, टीएमसी, एनसीपी, झामुमो, एनसी सभी दल जानते हैं कि यदि फिर से मोदी सरकार बनती है तो फिर उनके अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगेगा। यही वजह है कि जो ममता बनर्जी कांग्रेस को एक भी सीट न देने की बात कर रही थी वह अब कांग्रेस को पांच सीटें देने को तैयार हैं।
शाहजहां शेख प्रकरण के बाद टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी की हालत पतली है। प्रधानमंत्री के पीड़ित महिलाओं से मिलने के बाद मामला और गंभीर हो गया है। ममता बनर्जी को अंदेशा है कि कहीं पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन न लगा दिया जाए। यही हाल दिल्ली में आम आदमी पार्टी का है। आम आदमी पार्टी के सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल में हैं। अरविंद केजरीवाल की भी जेल जाने की नौबत है। झारखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भूमि घोटाले में जेल में बंद हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को खनन घोटाले में सीबीआई का नोटिस मिल चुका है। ऐसे में इंडिया गठबंधन के हर दल का प्रयास है कि किसी भी तरह से बीजेपी को हराया जाए।