2024 का लोकसभा चुनाव भी होगा मंडल और कमंडल की तर्ज पर !

2024 के लोकसभा चुनाव को मंडल और कमंडल का होने जा रहा है। विपक्ष जातीय गणना के माध्यम से मंडल रिपोर्ट लागू करने वाला माहौल बना रहा है तो बीजेपी कमंडल वाला। आरएसएस ने हिन्दू संगठनों को साथ लेकर कमंडल वाला माहौल बनाने की पूरी तैयारी कर ली है। राम मंदिर में राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा में जो गणमान्य लोग बुलाये गये हैं उनमें जातीय समीकरण बैठाने का पूरा प्रयास किया गया है। विशेष रूप से जो साधु संत बुलाये गये हैं उनमें दलित, पिछड़े सभी वर्गों से हैं।

राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए 4 हजार संतों और ढाई हजार वीवीआईपी को न्योता भेजा गया। न्योते में सिर्फ वीवीआईपी नहीं हैं, बल्कि हिंदू समाज की जातियों के समीकरण को साधने की कोशिश की गई है। विश्व हिंदू परिषद ने न्योते की लिस्ट में भी आरएसएस की सामाजिक समरसता का ध्यान रखा है।

राम मंदिर समारोह के लिए 150 से अधिक जातियों के संतों और लोगों को न्योता भेजा गया है। राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, 22 जनवरी के भव्य आयोजन में देश के विभिन्न जिलों से आदिवासी और दलित संत भी शामिल होंगे। इसके अलावा राम मंदिर को बनाने वाले कारीगरों को भी आमंत्रित किया गया है। समारोह में ऐसे 10 दानदाता भी खास मेहमान होंगे, जो झोपड़ी में रहते हैं, मगर राम मंदिर के लिए अपने सामर्थ्य से बढ़कर चंदा दिया। समारोह के बाद भी आरएसएस और विहिप रामलला के दर्शन करने का अभियान चलाने वाली है। इसके तहत अगले दो महीने तक समाज के सभी वर्गों को अयोध्या लाने की तैयारी चल रही है।

10 अगस्त 1990 को जब तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने मंडल कमिशन की सिफारिश लागू करने की घोषणा की थी, तब इसके विरोध में पूरा देश सुलग उठा था। देश के हर हिस्से में रिजर्वेशन के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन हुए। उससे पहले 1989 में विश्व हिंदू परिषद राम मंदिर आंदोलन शुरू कर चुकी थी। नवंबर 1989 में तत्कालीन विवादित स्थल पर कामेश्वर चौपाल ने राम मंदिर की आधारशिला रखी थी। मंडल आंदोलन के दौरान जातियों में बंटे हिंदू समाज को गोलबंद करने के लिए आरएसएस ने सामजिक समरसता का मंत्र दिया और राम रथयात्रा की शुरुआत की। इसका असर यह रहा कि जिन राज्यों से लालकृष्ण आडवाणी का रथ गुजरा, वहां जातीय उन्माद ठंडा पड़ गया। इसका सीधा फायदा 1991 के आम चुनाव और विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हुआ। हालांकि मंडल का असर भी एक दशक तक हिंदी पट्टी में बना रहा।
2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष ने एक बार फिर मंडल का दांव खेला है। कांग्रेस, जेडी यू, आरजेडी, समाजवादी पार्टी जातीय जनगणना और नए सिरे से ओबीसी रिजर्वेशन के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। इससे मुकाबला करने के लिए बीजेपी भी हिंदुत्व के मुद्दे राम मंदिर, नागरिकता संशोधन कानून और कॉमन सिविल कोड के साथ चुनाव में उतरने की तैयारी कर चुकी है।

बीजेपी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को ही मंडल पार्ट-2 के मुकाबले के आधार बना रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को यादगार बनाने में जुटे हैं। पांच लाख मंदिरों के माध्यम से 8 करोड़ लोगों तक पहुंचने की तैयारी है। समाज के हर वर्ग तक अक्षत निमंत्रण बांटे जा रहे हैं। बीएचपी की कोशिश है कि 22 जनवरी को जब पीएम नरेंद्र मोदी राम मंदिर में पूजा कर रहे हों, तब समाज के हर क्षेत्र से लोग इसके साक्षी बने। 22 जनवरी के समारोह के बाद भी संघ और बीएचपी के कार्यकर्ता देश के विभिन्न हिस्सों को अयोध्या दर्शन कराने की प्लानिंग कर चुके हैं।

हर राज्य के श्रद्धालुओं के लिए एक दिन तय होगा। जैसे एक दिन महाराष्ट्र का तो दूसरे दिन गुजरात का। 27 जनवरी से ब्रज और उत्तराखंड के भक्तों से इसकी शुरुआत होगी। इस तरह देश के सभी राज्यों से 2 हजार से 4 हजार भक्तों का दर्शन चलता रहेगा। ये अयोध्या आने वाले अन्य भक्तों से अलग होंगे। विहिप ने राज्य और क्षेत्र के हिसाब से अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की लिस्ट बनाई है। अगले दो महीने तक दर्शन का सिलसिला चलेगा। श्रद्धालुओं की मदद के लिए भाषा मित्र भी होंगे। इसके अलावा बीएचपी के पदाधिकारी इन भक्तों के खाने और रहने का प्रबंध करेंगे।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *