SC On Godhra Train Burning Case: 2002 में गोधरा में ट्रेन के कोच में आग लगाकर 59 लोगों की हत्या करने के दोषी 8 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (21 अप्रैल) को जमानत दे दी.
2002 Godhra Train Coach Burning Case Supreme Court Grants Bail to 8 Life Convicts Rejects Pleas Of Four Others ANN Godhra Train Burning Case: गोधरा कांड के 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, 4 की रिहाई से जजों ने किया मना
SC On Godhra Train Coach Burning Case: गुजरात के गोधरा में 2002 में ट्रेन के कोच में आग लगाकर 59 लोगों की हत्या करने के दोषी 8 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (21 अप्रैल) को जमानत दे दी. सभी दोषियों को निचली अदालत और हाई कोर्ट से उम्रकैद की सजा मिली थी. 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर दोषियों को जमानत दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से फांसी की सजा पाने वाले 4 दोषियों को जमानत से मना कर दिया है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 8 दोषियों को जमानत दी. अदालत ने इसी साल 20 फरवरी को दोषियों की आयु और कारागार में बिताए गए समय समेत उनकी डिटेल मांगी थी ताकि फैसला करने में मदद मिल सके. कोर्ट में गुजरात सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा. मेहता ने 2017 के गुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले पर कड़ी असहमति जताई जिसमें 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था.
पिछले वर्ष 1 को अंतरिम तो दूसरे को इस आधार पर मिली थी जमानत
पिछले साल 13 मई, 2022 को कोर्ट ने दोषियों में से एक अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कांकट्टो को छह महीने के लिए इस आधार पर अंतरिम जमानत दी थी कि उसकी पत्नी टर्मिनल कैंसर से पीड़ित थी और उसकी बेटियां मानसिक बीमारी से गुजर रही थीं. 11 नवंबर 2022 को कोर्ट ने उसकी जमानत 31 मार्च 2023 तक बढ़ाई थी.
पिछले वर्ष दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद काट रहे फारूक नाम के दोषी को इस आधार पर जमानत दे दी थी कि वह 17 साल की सजा काट चुका है और मामले में उसकी भूमिका ट्रेन में पथराव की थी.
कब हुआ था गोधरा ट्रेन कांड?
बता दें कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगाई गई थी. कोच में कारसेवक सवार थे, जो अयोध्या से आ रहे थे. 58 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. भारत के विभाजन के बाद गोधराकांड ने देश के सबसे वीभत्स सांप्रदायिक दंगे को जन्म दिया. मार्च 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें से 11 को मौत की सजा सुनाई गई और बाकी 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया था. 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया और अन्य 20 को दी गई उम्रकैद को बरकरार रखा था. दोषियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका 2018 से लंबित थी.