गंगेश्वर दत्त शर्मा
आजकल समाज में फैले भ्रष्टाचार को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। आज समाज का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां पर भ्रष्टाचार न पसर गया हो। आज हमारे देश में अधिकांश तहसीलों, पुलिस थानों, कचहरी, अस्पताल, नगर निगम और अधिकांश सरकारी विभागों में सर्वव्यापी भ्रष्टाचार मौजूद है। भ्रष्टाचार हमेशा से ही चर्चा में रहा है। समाज के जागरूक, ईमानदार व प्रगतिशील लोग बहुत पहले से समाज में व्याप्त रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार पर चर्चा करते रहे हैं।
अगर मानव इतिहास पर एक नजर डालें तो हमें पता चलता है कि आदिम साम्यवाद के लाखो वर्ष लंबे अरसे में मानव समाज में भ्रष्टाचार नहीं था। जैसे ही मानव सभ्यता दास काल में प्रवेश करती है और उसके बाद सामंतवाद में प्रवेश करती है, तभी से हम पाते हैं कि मानव समाज में हजारों साल से भ्रष्टाचार व्याप्त है। पहले दासों से जबरदस्ती काम करा जाता था, उनका शोषण किया जाता था, उनके साथ जुल्म और ज्यादतियां की जाती थीं। उनका कोई मानवीय अधिकार नहीं था। उसके बाद सामंती व्यवस्था में भी किसानों और मजदूरों का शोषण जुल्म अत्याचार होता रहा और इस समाज में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कायम था और यह पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार पर ही आधारित था क्योंकि इस समाज में किसानों और मजदूरों का भूमिहीन मजदूरों का भयानक शोषण किया जाता था।
इसके बाद मानव समाज सामंती व्यवस्था से विद्रोह करके, पूंजीवादी व्यवस्था में प्रवेश करता है। इसमें आने के बाद मजदूरों ने कामना की थी कि उन्हें सामंती शोषण से मुक्ति मिलेगी। मगर पूंजीवाद का सैकड़ों साल का इतिहास बताता है कि किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों को इस समाज में भी भ्रष्टाचार से कोई मुक्ति नहीं मिली। वे सब मेहनत की हड़प, शोषण, जुल्म, अन्याय गैरबराबरी, भेदभाव और भ्रष्टाचार का शिकार रहे और भ्रष्टाचार पूंजीपतियों का मुख्य अधिकार और आधार बन गया।
इसके बाद मानव समाज पूंजीवादी व्यवस्था से विद्रोह करके समाजवादी व्यवस्था में प्रवेश करता है और वहां पर मेहनतकशों और किसानों के शोषण पर रोक लगाई जाती है। शोषण, जुल्म ओ सितम, अन्याय और भ्रष्टाचार का खात्मा कर दिया जाता है और समाज में समता, समानता न्याय और भाईचारे का समावेश हो जाता है। मगर यह व्यवस्था पूरी दुनिया में और समाज में पूरी तरह से विस्तार नही पा सकी और दुनिया भर के पैमाने पर बेईमानी और भ्रष्टाचार फूलता फलता रहा और यह दुनिया से समाप्त नहीं हो पाया।
समाजवादी व्यवस्था के मूल सिद्धांतों शोषण, जुल्म, अन्याय, गैर बराबरी, भेदभाव के खात्मे और समाज में समता समानता न्याय भाईचारा के सिद्धांतों से डरकर, दुनिया के तमाम भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर, सामंती, जातिवादी, वर्णवादी, धर्मांध और सांप्रदायिक सोच के लोगों ने पूंजीवादी व्यवस्था से समझौता कर लिया।
पूंजीवादी व्यवस्था के बारे में जब विचार करते हैं तो हम पाते हैं की पूंजीवादी व्यवस्था आज तक के मानव समाज की सबसे ज्यादा रिश्वतखोर, बेईमान और भ्रष्टाचारी व्यवस्था है। इसने अपनी लूट, सत्ता, प्रतिष्ठा, पद शोषण, अन्याय, भ्रष्टाचार और मेहनत की हड़प को जारी रखने के लिए दुनिया की तमाम सामंती, जातिवादी, वर्णवादी, सांप्रदायिक, धर्मांध, बेईमान और भ्रष्टाचारी ताकतों से समझौता कर लिया है और आज यह भ्रष्टाचारी पूंजीवादी निजाम दुनिया में भ्रष्टाचार और बेईमानी के साम्राज को बरकरार रखे हुए हैं। आज भी मनुष्य को उसके मानवीय अधिकार देना नहीं चाहती। उसे आज भी शोषण, अन्याय, जुल्म ओ सितम, बेईमान, भेदभाव और गैरबराबरी के दलदल में फंसाये रखना चाहती हैं।
अपने देश और दुनिया भर के पैमाने पर हम देखते हैं कि इन तमाम बेईमान और भ्रष्टाचारी तत्वों ने मिलकर दुनिया में बेईमानी और भ्रष्टाचार का साम्राज्य कायम कर दिया है और अब हम पूर्ण रूप से विश्वस्त होकर कह सकते हैं कि उपरोक्त पूंजीवादी व्यवस्था के चलते, दुनिया से बेईमानी और भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं किया जा सकता।
अब तो हमारी सोच को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से बल मिलता है जिसमें उसने अपने फिलहाल के फैसले में पूरी स्पष्टता से कहा है कि पैसे की भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह बढ़ने में मदद की है। उसका यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार एक बीमारी है जो जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त हो गई है। अब यह पूरे समाज की सोच का हिस्सा बन गई है और समाज के अधिकांश लोग भ्रष्टाचार के साम्राज्य में आकंठ डूबे हुए हैं।
हमारा मानना है कि भ्रष्टाचार एक मानसिक बीमारी है, एक मानसिक रोग है और पूंजीवादी, सामंतवादी, सांप्रदायिक और धर्मांध ताकतों के गठजोड़ के चलते दुनिया की इस सबसे बड़ी बीमारी से मुक्ति नहीं मिल सकती। अपनी सत्ता और लूट के साम्राज को कायम रखने के लिए ये तमाम मानव विरोधी ताकतें किसी भी तरह से पद, प्रतिष्ठा, पैसे और प्रभुत्व पर काबिज रहना चाहती है और अपनी मुनाफाखोरी के साम्राज्य को बरकरार रखना चाहती हैं और इसके लिए वे सब प्रकार की बेईमानी और भ्रष्टाचार कर रही हैं।
अब दुनिया से भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए, उसके साम्राज्य का विनाश करने के लिए, देश और दुनिया के पैमाने पर, दुनिया के समस्त शोषण और अन्याय व भ्रष्टाचार के शिकार सारे किसानों, मजदूरों, नौजवानों, महिलाओं के साथ समस्त समाजवादी ताकतों, बुद्धिजीवियों, जजों, वकीलों और साहित्यकर्मियों को मिलजुल कर, सर्वोच्च न्यायालय के इस अहम फैसले का इस्तेमाल करते हुए, इस भ्रष्टाचारविरोधी और पूंजीवादी व्यवस्था के खात्मे और विनाश का एक अविराम अभियान चलाना होगा और केवल तभी जाकर, इस दुनिया से भ्रष्टाचार के साम्राज्य का खात्मा किया जा सकता है और दुनिया में समाजवादी व्यवस्था कायम करके ही समता, समानता, भाईचारा, ईमानदारी और सर्वकल्याण पर आधारित और भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्थापना की जा सकती है।