सी.एस. राजपूत
जिन मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया पर पोटा लगने के बाद पूरा साथ दिया, जिन मुलायम सिंह यादव के सामने राजा भैया ने सपा के दूसरे नंबर के नेता अमर सिंह को कभी तवज्जो नहीं दी। उन राजा भैया के बारे में मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकारी अखिलेश यादव कह रहे हैं कि ये कौन हैं ?
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने की जुगत में लगे अखिलेश यादव को राजा भैया के बारे में ये कौन हैं वाला बयान भारी पड़ सकता है। इसका बड़ा कारण यह है कि अभी भी न केवल समाजवादी पार्टी में काफी नेता राजा भैया के करीबी हैं बल्कि कितने सपा कायर्कर्ताओं की भी राजा भैया में आस्था है।
राजा भैया का प्रतापगढ़ के अलावा आसपास के जिलों में भी काफी प्रभाव माना जाता है। वैसे भी अखिलेश यादव को इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए कि यदि वह सरकार बनाने में लगे हैं तो किसी भी वर्ग को नाराज करने से बचें। यह भी जमीनी हकीकत है राजा भैया खुद उनके पिता और उस पार्टी के संस्थापक से मिले हैं जिसकी बागडोर आज अखिलेश यादव के हाथों में हैं।
अखिलेश यादव को यह भी सोचना होगा कि नेता जी की सपा को मजबूत करने में एक बड़ी खासियत यह थी कि वह जिसका साथ देते थे खुलकर देते थे। २००२ में मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब राजा भैया पर पोटा लगा तो केंद्र में भाजपा की सरकार थी। राजा भैया पर पोटा लगने पर खुद वह राजनाथ सिंह चुप्पी साध गये जिनके मुख्यमंत्री बनने में राजा भैया ने काफी मदद की थी। वह मुलायम सिंह यादव ही थे जिन्होंने राजा भैया का खुलकर साथ दिया। और राजा भैया ने भी 2003 में बनी सपा की सरकार बनने में काफी सहयोग किया था। यही वजह थी कि उस समय भले ही राजा भैया ने सपा की सदस्यता न ली हो पर लोग उन्हें सपा का नेता मानने लगे थे।
मुलायम सिंह यादव की शह पर ही दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राजा भैया पर लगे पोटा के विरोध में ठाकुरों का एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें तलवारें भी बांटी गई थी। इसमें दो राय नहीं कि अखिलेश यादव ने २०१२ में मुख्यमंत्री बनने के बाद अतीक अहमद, राजा भैया जैसे बाहुबलियों से दूरी बना ली थी। यह भी जमीनी हकीकत है कि अब जब विधानसभा चुनाव करीब हैं तो उन्होंने पश्चिमी उत्तर के बाहुबलि कादिर राणा को सपा से जोड़ा है।
दरअसल समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कल प्रतापगढ़ में एक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। इसी दौरान पत्रकारों ने उनसे राजा भैया से जुड़े सवाल पूछे तो पूर्व सीएम ने जनसत्ता लोकतांत्रिक दल बना चुके राजा भैया को पहचानने से भी इनकार कर दिया।
अखिलेश यादव से जब राजा भैया की पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने पूछा, ये कौन है, कौन है ये? उन्होंने बिना नाम लिए हुए कहा कि यहां समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के ऊपर जो अन्याय हो रहा है, वैसा किसी जिले में नहीं हुआ। अखिलेश ने यह बात प्रतापगढ़ जिले के पट़्टी तहसील के राम कोला गांव में एक निजी कार्यक्रम में बोली है।
दरअसल राजा भैया के मुलायम सिंह के मिलने के बाद सपा से राजा भैया की पार्टी के गठबंधन की चर्चा ने जोर पकड़ लिया था।